पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने Bar Association बार एसोसिएशन के सदस्यों से संबोधन को लेकर अनुरोध करते हुए नोट जारी किया है, जिसमें बार के सदस्यों से न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी को Your Lordship ‘यौर लॉर्डशिप’ या My Lord ‘माय लॉर्ड’ के रूप में संबोधित करने से बचने का अनुरोध किया गया है। ।
जारी नोट में कहा गया है कि, “यह बार के सम्मानित सदस्यों की जानकारी के लिए है कि न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने अनुरोध किया है कि बार के सम्मानित सदस्य उन्हें Your Lordship ‘यौर लॉर्डशिप’ या My Lord ‘माय लॉर्ड’ के रूप में संबोधित करने से बचें और साथ ही आभारी शब्द का भी इस्तेमाल करने से बचें। सभी संबंधित कृपया नोट करें।”
Justice अरुण कुमार त्यागी ने मार्च 2021 में बार के सदस्यों से इसी तरह की अपील की थी कि वे उन्हें Your Lordship ‘यौर लॉर्डशिप’ या My Lord ‘माय लॉर्ड’ कहकर संबोधित न करें।
कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट्ट ने हाल ही में एक नोट जारी किया जिसमें अधिवक्ताओं से अनुरोध किया गया कि वे अदालत को ‘माय लॉर्ड’ या ‘यौर लॉर्डशिप’ के रूप में संबोधित करने से बचें।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कुछ महीने पहले एक Law के छात्र पर आपत्ति जताई, जो एक व्यक्ति के रूप में उपस्थित हुआ, जब उसने न्यायाधीशों को ‘यौर ऑनर’ संबोधित किया।
CJI एसए बोबडे ने याचिकाकर्ता से कहा था कि जब आप हमें यौर ऑनर कहते हैं, तो आपके दिमाग में या तो सुप्रीम कोर्ट या संयुक्त राज्य का मजिस्ट्रेट होता है, लेकिन हम तो वह नहीं हैं।
याचिकाकर्ता ने तुरंत माफी मांगी और सीजेआई से कहा कि वह “माय लॉर्ड” का इस्तेमाल करेगा। व्यक्तिगत न्यायाधीशों द्वारा ‘माय लॉर्ड’ और ‘यौर लॉर्डशिप’ का उपयोग न करने का अनुरोध मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के. चंद्रू ने 2009 में वकीलों से ‘माय लॉर्ड’ के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा था।
पिछले साल, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने औपचारिक रूप से वकीलों से अनुरोध किया कि वे उन्हें ‘यौर लॉर्डशिप’ या ‘माय लॉर्ड’ के रूप में संबोधित करने से बचने की कोशिश करें।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थोट्टाथिल बी. नायर राधाकृष्णन ने हाल ही में रजिस्ट्री के सदस्यों सहित जिला न्यायपालिका के अधिकारियों को एक पत्र संबोधित किया, जिसमें उन्होंने “माय लॉर्ड” या “लॉर्डशिप” के बजाय SIR “सर” के रूप में संबोधित करने की इच्छा व्यक्त की।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने पिछले साल एक नोटिस जारी कर वकीलों और न्यायाधीशों के सामने पेश होने वालों को लोगों को “माय लॉर्ड” और “यौर लॉर्डशिप” के रूप में संबोधित करने से रोकने का अनुरोध किया था।