सुप्रीमकोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को दिखाई  हरी झंडी

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सुप्रीमकोर्ट ने मंगलवार को बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना की खातिर पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखा। सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंजूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है वे वैध हैं।

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जस्टिस खानविलकर ने खुद की तथा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की ओर से यह फैसला लिखा जिसमें सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है। पीठ के तीसरे न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने भी परियोजना को मंजूरी पर सहमति जताई हालांकि उन्होंने भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले पर और परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने पर असहमति जताई। 

अनेक याचिकाओं पर शीर्ष अदालत का यह फैसला आया है जिनमें परियोजना को दी गई विभिन्न मंजूरियों पर आपत्ति जताई गई है, इनमें पर्यावरण मंजूरी दिए जाने और भूमि उपयोग के बदलाव की मंजूरी देने का भी विरोध किया गया है। इनमें से एक याचिका कार्यकर्ता राजीव सूरी की भी है।

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