सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समय-सीमा या रोडमैप बनाये

Estimated read time 1 min read

पीठ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र महत्वपूर्ण है, लेकिन हम सहमत हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य के आलोक में राज्य का पुनर्गठन किया जा सकता है।’’

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समय सीमा या रोडमैप प्रदान करने का निर्देश दिया, जिसे 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 पर दाखिल याचिकाओं पर संविधान पीठ में 12वें दिन सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार पर बड़े सवाल उठाए और केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समय-सीमा या रोडमैप देने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, “जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली जरूरी है।”

सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीन सवाल-

  • आखिर संसद को राज्य के टुकड़े करने और अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अधिकार किस कानूनी स्रोत से मिला?
  • इस अधिकार स्रोत का दुरुपयोग नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है?
  • तीसरा सवाल ये कि आखिर कब तक ये अस्थाई स्थिति रहेगी?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की चुनाव करा कर विधानसभा बहाली और संसद में प्रतिनिधित्व सहित अन्य व्यवस्था कब तक बहाल हो पाएगी? लोकतंत्र की बहाली और संरक्षण सबसे जरूरी है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कश्मीर के लिए सिर्फ इसी दलील के आधार पर ये सब नहीं कर सकते कि जम्मू कश्मीर सीमावर्ती राज्य है और यहां पड़ोसी देशों की कारस्तानी और सीमापर से आतंकी कार्रवाई होती रहती है।

ALSO READ -  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप और मारपीट मामले में एसीपी द्वारा जारी नोटिस को रद्द कर दिया

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा ‘स्थायी व्यवस्था’ नहीं है और यह 31 अगस्त को न्यायालय में इस जटिल राजनीतिक मुद्दे पर एक विस्तृत बयान देगा। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को केंद्र सरकार के जवाब से अवगत कराया। इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूर्ववर्ती राज्य में चुनावी लोकतंत्र बहाल करने के लिए एक विशेष समय सीमा तय करने को कहा था। मेहता ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। जहां तक लद्दाख की बात है, इसका केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कुछ समय के लिए बरकरार रहने वाला है।’’ सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर पीठ के समक्ष 31 अगस्त को एक विस्तृत बयान देंगे।

पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं। न्यायालय मेहता की दलीलें सुन रहा है, जो पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र के फैसले का बचाव कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र महत्वपूर्ण है, लेकिन हम सहमत हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य के आलोक में राज्य का पुनर्गठन किया जा सकता है।’’ न्यायालय ने कहा कि चुनावी लोकतंत्र के अभाव को अनिश्चित काल तक नहीं रहने दिया जा सकता।

ALSO READ -  सुप्रीम कोर्ट : आरक्षण के लिए समयसीमा तय करने की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार-

पीठ ने कहा, ‘‘इसे समाप्त होना होगा…हमें विशेष समय सीमा बताइए कि आप कब वास्तविक लोकतंत्र बहाल करेंगे। हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं।’’ पीठ ने मेहता और अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सरकार से निर्देश प्राप्त करने तथा न्यायालय में वापस आने को कहा।

You May Also Like

+ There are no comments

Add yours