11 मार्च को पहला शाही स्नान, कुम्भ में लगेगी हर के पौड़ी में डुबकी-

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कुंभ अनादि पर्व है, इसकी महिमा भी अपरंपार है-

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कुंभ मेले पर अशोक कुमार, उत्तराखंड के डीजीपी ने बताया कि 11 मार्च को पहला शाही स्नान है, हमने परंपरा अनुसार तैयारी कर ली है कि किस अखाड़े को पहले हर की पौड़ी पर स्नान करने जाना है और किस को बाद में। 11 मार्च को जनता हर की पौड़ी पर स्नान नहीं करेगी, लोग बाकी घाटों पर स्नान कर सकते हैं।

ज्ञात हो कि इस बार कुम्भ हरिद्धार में लग रहा है और उत्तराखंड गवर्मेन्ट कुम्भ कि तैयारी में जुटी पड़ी है। कुंभ साधारण महापर्व नहीं है। इसकी गाथा वेद पुराणों और मायथोलॉजी से लेकर लंदन की प्रसिद्ध इलियट लाइब्रेरी के दस्तावेजों तक फैली है।

श्रीमद्भागवत, इम्पीरियल गजेटियर, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के साथ साथ अथर्ववेद, आईने अकबरी, रामायण और सभी 18 पुराणों में कुंभ महापर्व का वर्णन है। इसे महान अमृत योग के रूप में महापुण्यमयी दर्शाया गया है। ब्रिटानिका, एशियाटिक रिसर्च, अमेरिकना एनसाइक्लोपीडिया, क्रिश्चियन ऑब्जर्वर में भी कुंभ का विस्तार दिया गया है।

महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत लालपुरी, दिलीप कुमार राय, इंदिरा देवी, डॉ. विष्णु राकेश ने कुंभ के इतिहास पर पुस्तक लिखी। एलेक्जेंडर कनिंघम, लेफ्टिनेंट फ्रांसिस व्हाइट, ब्लैकमैन एंड जेरेट, डॉसन, एमा रॉबर्ट एवं एटकिंसन ने अपने साहित्य के माध्यम से भारत के कुंभ मेले को दुनियाभर में चर्चित किया। यही कारण है कि हरिद्वार और प्रयाग के कुंभ मेले में हजारों विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।

कुंभ महापर्व की व्यापक महिमा स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, शिव पुराण, शतपथ ब्राह्मण, कूर्म पुराण और मत्स्य पुराण में है। सर यदुनाथ सरकार ने कुंभ के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व पर गहन अध्ययन के पश्चात पुस्तक लिखी। कालिदास के मेघदूत और महाभारत के आदि पर्व एवं वनपर्व में भी कुंभ का व्यापक उल्लेख है।

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कुंभ अनादि पर्व है, इसकी महिमा भी अपरंपार है।

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