34 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को TIP न कराने का हवाला देते हुए खारिज किया

34 साल बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को TIP न कराने का हवाला देते हुए खारिज किया

राजस्थान हाईकोर्ट: अज्ञात आरोपियों की पहचान परेड (TIP) अनिवार्य, पुलिस को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी पुलिस जांच अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करें कि जहां आरोपी पीड़िता को नहीं जानता था, वहां आरोपी की पहचान परेड (Test Identification Parade – TIP) कराई जाए।

मामले की पृष्ठभूमि-

जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ बलात्कार के एक मामले में 1991 के दोषसिद्धि आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। पीड़िता ने यह स्वीकार किया था कि वह आरोपी को अपराध से पहले या अपराध के दौरान नहीं जानती थी, फिर भी पुलिस ने कोई TIP आयोजित नहीं की।

अदालत ने पाया कि पीड़िता ने आरोपी का नाम अपने रिश्तेदारों से सुनी बातों के आधार पर बताया था। इस आधार पर अदालत ने माना कि बिना TIP के केवल पीड़िता की गवाही के आधार पर आरोपी की पहचान को स्वीकार करना पूरी तरह असुरक्षित होगा।

न्यायालय की महत्वपूर्ण टिप्पणियां-

  1. TIP कानूनी रूप से आवश्यक – भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 9 के तहत अज्ञात आरोपियों की पहचान परेड कराना गवाह की विश्वसनीयता की परीक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  2. पुलिस की लापरवाही उजागर – न्यायालय ने कहा कि जांच एजेंसी ने अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया और असली अपराधियों को पकड़ने में विफल रही।
  3. गलत आरोपियों को फंसाने का जोखिम – अदालत ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि कई बार जनता के आक्रोश को शांत करने के लिए पुलिस ऐसे व्यक्तियों को आरोपी बनाती है, जिनके खिलाफ कोई वैध साक्ष्य नहीं होता।
ALSO READ -  प्रतिवादी का आवेदन सीआरपीसी की धारा 438 पर विचार नहीं किया जाना चाहिए था, क्योंकि वह एक घोषित अपराधी था: सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया

मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश और पुलिस की जवाबदेही-

आरोपी-अपीलकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि तीनों अपीलकर्ताओं में से कोई भी पीड़िता को नहीं जानता था और न ही अपराध स्थल पर मौजूद था। अपराध के बाद पीड़िता के देवर और सास ने उसे आरोपियों के नाम बताए। वकील ने यह तर्क दिया कि यदि पुलिस ने सही तरीके से TIP कराई होती, तो सच सामने आ जाता।

कोर्ट ने TIP की गैरमौजूदगी में केवल पीड़िता की गवाही पर भरोसा करने को अविश्वसनीय माना और कहा कि यह अभियोजन पक्ष के लिए घातक साबित हुआ।

अदालत का फैसला-

  1. अपराध से जोड़ने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने के कारण तीनों आरोपियों की दोषसिद्धि रद्द की गई और उनकी अपील स्वीकार कर ली गई।
  2. राजस्थान पुलिस महानिदेशक (DGP) और गृह विभाग को निर्देश दिया गया कि वे सभी पुलिस जांच अधिकारियों को यह अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने के निर्देश दें कि जहां आरोपी पीड़िता के लिए अज्ञात हो, वहां अनिवार्य रूप से TIP कराई जाए।

वाद शीर्षक – X बनाम राजस्थान राज्य

Translate »