पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायलय ने एक औद्योगिक इकाई द्वारा 13.73 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा करने के बाद पंजाब सरकार को ‘नरमी बरतने’ के लिए फटकार लगाई है। कंपनी ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इसके वैध संचालन को रोका जा रहा था। इस तथ्य के बावजूद कि कंपनी की इकाई को कानून और आवश्यक नियमों का अनुपालन करते हुए पाया गया था। बेंच ने राज्य सरकार को हाईकोर्ट की पंजीकरण में एक सप्ताह के भीतर 5 करोड़ रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति विनोद एस भारद्वाज ने इसके लिए एक सप्ताह की समय सीमा तय की है। Malbros International Private Limited और एक अन्य याचिकाकर्ता द्वारा राज्य और अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ एक याचिका दायर किए जाने के बाद यह मामला न्यायमूर्ति भारद्वाज के संज्ञान में लाया गया था।
सरकार प्रदर्शनकारियों को लाभ देना चाहती थी-
मामले में वकीलों ने तर्क दिया था कि पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए प्रदर्शनकारियों द्वारा स्थापित औद्योगिक इकाई के वैध संचालन को रोका जा रहा था। इसमें सभी आवश्यक पर्यावरणीय अनुमोदन थे, लेकिन कानून के शासन को सुनिश्चित करने में राज्य की विफलता और प्रदर्शनकारियों को लाभ देने के कारण इसे कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। प्रदर्शनकारियों का दावे का कोई वैध आधार नहीं था और विरोध प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन था।
वहीं न्यायमूर्ति भारद्वाज ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर भी गौर किया कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) ने शुरुआती चरणों में कंपनी की इकाई की जांच की थी। याचिकाकर्ता को effluent discharge या प्रदूषक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था। लेकिन प्रदर्शनकारियों की मांग पर तलाशी और जांच करने के लिए National Green Tribunalकी निगरानी समिति से अनुरोध किया गया था।
अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी-
निगरानी समिति ने अपनी जांच में याचिकाकर्ता के कारखाने द्वारा किसी भी तरह के अपशिष्ट/प्रदूषणकारी उत्सर्जन का निर्वहन या उत्सर्जन नहीं पाया था। याचिकाकर्ताओं को कानून और उसमें निर्धारित आवश्यकताओं का अनुपालन करते हुए पाया गया। राज्य याचिकाकर्ताओं को कंपनी की इकाई को संचालित करने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त व्यवस्था प्रदान करने में विफल रहा। राज्य ने कानून के शासन की संप्रभुता को बनाए रखने के बजाय प्रदर्शनकारियों के आगे घुटने टेकने का विकल्प चुना।
न्यायमूर्ति भारद्वाज ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर नरमी बरत रहा है। बार-बार आश्वासन देने और अधिवक्ता जनरल, पंजाब द्वारा किए गए अथक प्रयासों के बावजूद यह कोई प्रगति नहीं कर रहा है।
कोर्ट ने कहा की आंदोलन से याचिकाकर्ताओं को भारी नुकसान हो रहा है, जिसमें वित्तीय दायित्व को पूरा करने का आर्थिक बोझ भी शामिल है। न्यायमूर्ति भारद्वाज ने सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।