CJI ने बेहद गुस्से से तेज आवाज में अधिवक्ता से कहा आप मुझे धमका नहीं सकते, मेरे कोर्ट से बाहर जाये

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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विकास सिंह की इस टिप्पणी पर CJI डी. वाई, चंद्रचूड़ ने बेहद गुस्से से तेज आवाज में कहा, ‘एक मुख्य न्यायाधीश को इस तरह धमकी मत दीजिए। क्या यही आपका बर्ताव है? कृपया बैठ जाइए।’

हमेशा चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ मामलों की सुनवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई, चंद्रचूड़ आज बेहद गुस्से में देखे गए। नर्म लहज़े में बात करने वाले चीफ जस्टिस ने काफी ऊंची आवाज में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह को अपनी कोर्ट से बाहर निकल जाने को कहा। दरअसल, बार अध्यक्ष ने वकीलों के चैंबर से जुड़े एक मामले में सुनवाई नहीं होने पर चीफ जस्टिस के घर पर धरना देने की धमकी दे दी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के नज़दीक पुराने अप्पू घर परिसर को काफी पहले कोर्ट के एक्सटेंशन ब्लॉक के लिए आवंटित किया गया था। वकील ये मांग करते रहे हैं कि पूरा परिसर वकीलों के चैंबर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए लेकिन परिसर में सिर्फ एक ब्लॉक चैंबर के लिए दिया गया है। बाकी में सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग विभागों के दफ्तर चल रहे हैं। इस बारे में बार एसोसिएशन कई बार अपनी याचिका पर सुनवाई का अनुरोध कर चुका है, लेकिन मामला सुनवाई के लिए नहीं लगा है।

वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजिडेंट विकास सिंह ने एक बार फिर चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की बेंच के सामने मामले को सुनवाई के लिए रखा। उनकी मांग थी कि मामला जल्द से जल्द सुना जाए और उसे सुनवाई की लिस्ट में पहले नंबर पर रखा जाए। लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को अलग से प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, दूसरे मामलों की तरह ही इसे समय पर सुनवाई की सूची में लगा दिया जाएगा।

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चीफ जस्टिस की तरफ से तुरंत सुनवाई का आश्वासन न मिलने पर विकास सिंह ने धमकी के लहजे में कहा उन्हें इसके लिए चीफ जस्टिस के घर तक आना पड़ेगा। इस पर चीफ जस्टिस काफी नाराज हो गए। उन्होंने तेज आवाज़ में कहा, ‘आप मुझे इस तरह से धमका नहीं सकते।

मैं चीफ जस्टिस हूं। मैं 29 मार्च, 2000 से यहां हूं। मैं इस पेशे में 22 साल से हूं। मैंने कभी भी खुद को बार के किसी सदस्य, वादी या किसी अन्य के दबाव में नहीं आने दिया। मेरे करियर के अंतिम दो वर्षों में भी ऐसा नहीं करने दूंगा। आपके साथ एक सामान्य वादी के रूप में व्यवहार किया जाएगा। कृपया मुझे कुछ भी ऐसा करने के लिए मजबूर न करें जो आप नहीं चाहते।’ आपको जो भी राजनीति करनी हो, वह कोर्ट के बाहर कीजिए।’

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