2188951 Supreme Court

उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता –

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे को यात्री को चोरी की गई नकदी की प्रतिपूर्ति करने का निर्देश दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा, “हम यह समझने में विफल हैं कि चोरी को किसी भी तरह से रेलवे द्वारा सेवा में कमी कैसे कहा जा सकता है। यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”

मामला क्या था –

सुरेंद्र भोला (प्रतिवादी/यात्री) भारतीय रेलवे ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और कमर में बंधी बेल्ट में एक लाख रुपये नकद ले जा रहे थे। ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री से नकदी चोरी हो गई। यात्री ने जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष रेलवे से चोरी की गई राशि की प्रतिपूर्ति की मांग करते हुए दावा दायर किया।

दावा में यह तर्क दिया गया कि पैसे की चोरी रेलवे द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा में कमी के कारण हुई थी। जिला उपभोक्ता फोरम ने दावे की अनुमति दी और रेलवे को यात्री को एक लाख रुपये की प्रतिपूर्ति करने का निर्देश दिया।

इसके बाद राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने अपीलों को खारिज कर दिया और जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को बरकरार रखा।

अदालत ने कहा कि यात्री के निजी सामान की चोरी रेलवे द्वारा “सेवा की कमी” के दायरे में नहीं आती है।

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कोर्ट ने कहा, “हम यह समझने में विफल हैं कि चोरी को किसी भी तरह से रेलवे द्वारा सेवा में कमी कैसे कहा जा सकता है। यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”

अस्त, खंडपीठ ने अपील की अनुमति देते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया।

केस टाइटल – स्टेशन अधीक्षक और अन्य बनाम सुरेंद्र भोला
केस नम्बर – सिविल अपील नंबर 7116 ऑफ 2017

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