Allahabd High Court

‘गुटखा जैसे हानिकारक पदार्थों का प्रचार करने वाले ऐसे पद्म विजेताओं के खिलाफ हो कार्रवाई’, हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐसे कुछ ‘पद्म पुरस्कार विजेताओं’ द्वारा हानिकारक और भ्रामक विज्ञापन करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे विज्ञापन करने वालों कीओर ध्यान आकर्षित करने वाली याचिका पर विचार क्यों नहीं किया गया?

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पान मसाला और गुटका बनाने वाली कंपनियों और उसका प्रचार करने वाले फिल्म अभिनेता अमिताभ, शाहरुख, अजय देवगन सहित कई अभिनेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22.09.22 को दिए गए आदेश के परिपालन में कोई समुचित कार्रवाई न करने पर दायर अवमानना अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

वकील द्वारा दायर की गई है याचिका-

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ में एकल जज पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता वकील मोतीलाल यादव ने खुद पेश हो कर गुटखा और पान मसाला कंपनियों के बनाए उत्पादों का प्रचार करने वाले अभिनेताओं, जिनमें पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियां भी शामिल हैं, के खिलाफ समुचित कार्रवाई न किए जाने की दलील दी थी। इस पर कोर्ट आदेश की अवमानना अर्जी पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव व केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त निधि खरे को अवमानना नोटिस जारी कर चार हफ्ते में अपना पक्ष रखने की कहा है। इस आवेदन में मोतीलाल यादव ने कहा कि पद्म पुरस्कार अलंकृत ऐसे हस्तियों का इन विज्ञापनों का हिस्सा बनना किसी भी सूरत में उचित और नैतिक नहीं होना चाहिए।

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इन फिल्म अभिनेताओं के खिलाफ हो एक्शन-

फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार, सैफ अली खान के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई है। ये सभी गुटखा कंपनियों के उत्पादों के विज्ञापन करते हैंय पीठ ने अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की है। इस मामले में जनहित याचिकाकर्ता की दलील थी कि दोनों अधिकारियों यानी कैबिनेट सचिव और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की अध्यक्ष को पिछले साल 15 अक्टूबर 2022 को प्रतिवेदन भेजा गया था। उसमें इन अभिनेताओं और इन हानिकारक उत्पादों को महिमंडित और क्रेजी बताने वाले उनसे विज्ञापन कराने वाली कंपनियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की अपील की गई थी, लेकिन साल बीत जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस पर कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि क्या कोई कार्रवाई हुई या नहीं? याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 1996 में दिए गए एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने पद्म पुरस्कार के लिए हस्तियों के चुनाव पर चिंता जताई थी।

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