हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर अधिवक्ताओं को स्टाईपेंड दिलाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद राज्य सरकार से अपील की है कि वह जूनियर अधिवक्ताओं के लिए फंड जारी करने पर विचार करे। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड को भी कहा की वो इस संदर्भ में एकमुश्त धनराशि देने के बारे में विचार करे।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
जानकारी हो कि हाईकोर्ट बार के पूर्व महासचिव अधिवक्ता कमलेश तिवारी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि वे जूनियर अधिवक्ता जिनकी वकालत 5 साल से कम है, उन्हें स्टाइपेंड दिलाया जाए। क्योंकि, वकालत के शुरुआती दौर में जूनियर अधिवक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए उनके लिए स्टाइपेंड की व्यवस्था की जाए।
उत्तराखंड राज्य में जूनियर अधिवक्ताओं के स्टाइपेंड मामले पर 28 सितंबर को सुनवाई होगी। इसके अलावा अधिवक्ता वेलफेयर फंड की व्यवस्था करने की मांग भी की गई है। ताकि, जिससे जूनियर अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता मिल सके।
जनहित याचिका में कहा कि उत्तर प्रदेश अधिवक्ता वेलफेयर एक्ट में यह प्रावधान है कि जिन अधिवक्ताओ की वकालत पांच साल से कम है, उन्हें स्टाइपेंड देने का प्रावधान है। कई राज्यों ने अधिवक्ताओं के लिए वेलफेयर फंड की व्यवस्था की है जिनमें केरल और पुडुचेरी मुख्य हैं।
जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अधिवक्ता वेलफेयर एक्ट में यह प्रावधान है कि जिन अधिवक्ताओं की वकालत 5 साल से कम हैं, उन्हें स्टाइपेंड देने का प्रावधान है और कई राज्यों ने अधिवक्ताओं के लिए वेलफेयर फंड की व्यवस्था की है। जिनमें केरल और पुडुचेरी मुख्य हैं।
अधिवक्ता वेलफेयर फंड की व्यवस्था की मांग-
वहीं, जनहित याचिका में ये भी कहा गया कि राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि अधिवक्ताओं के लिए अधिवक्ता वेलफेयर फंड की व्यवस्था की जाए. जिससे जूनियर अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता मिल सके।