Chatis Hc Org

पति द्वारा अपनी पत्नी की पीठ पीछे उसकी जानकारी के बिना की बातचीत रिकॉर्ड, जो उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है-HC

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट Chatisgarh High Court ने कहा कि संबंधित व्यक्ति की जानकारी के बिना मोबाइल पर बातचीत रिकॉर्ड करना उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है. यह टिप्पणी हाईकोर्ट एक फैसले के दौरान की. दरअसल, एक महिला और उसके पति के बीच मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें महिला के पति ने उसकी बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की जानकारी के बिना उसके मोबाइल पर बातचीत को रिकॉर्ड करना संविधान केअनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है. इसी के साथ फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा पत्नी की जानकारी के बिना फोन पर उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता के अधिकार का भी उल्लंघन है.

ज्ञात हो की छतीशगढ हाईकोर्ट एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. महिला ने साल 2019 से लंबित रखरखाव मामले में पति ने आवेदन को अनुमति देने वाले फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. महिला ने महासमुंद जिले की फैमिली कोर्ट में अपने पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए एक आवेदन दायर किया था. पति ने फैमिली कोर्ट में अपनी पत्नी से दोबारा पूछताछ की मांग की कि उसकी मोबाइल रिकॉर्डिंग है, वह उससे जिरह करना चाहता है. मोबाइल पर रिकॉर्ड की गई बातचीत उसके सामने रखना चाहता है.

ALSO READ -  जमानत नीति सुधार पर सुनवाई में, कोर्ट ने राज्यों से 'ई-जेल मॉड्यूल' पर जानकारी अपडेट करने को कहा - शीर्ष अदालत

अधिवक्ता वैभव ए. गोवर्धन ने कहा कि पारिवारिक न्यायलय ने 21 अक्टूबर 2021 के एक आदेश में महिला के पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया. इसके बाद महिला ने साल 2022 में पारिवारिक न्यायलय के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

महिला का पति मोबाइल रिकॉर्डिंग के जरिए फैमिली कोर्ट के सामने यह साबित करने की कोशिश कर रहा था कि उसकी पत्नी गलत आचरण कर रही है. इसलिए तलाक के बाद उसे गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है.

महिला के वकील ने हाईकोर्ट में दी ये दलील-

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला के वकील ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने आवेदन की अनुमति देकर कानूनी गलती की है, क्योंकि इससे याचिकाकर्ता की निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है. उसकी जानकारी के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड की गई. इसका उपयोग उसके विरुद्ध नहीं किया जा सकता. वकील ने सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित कुछ निर्णयों का हवाला दिया. इसके बाद 5 अक्टूबर को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में की ये टिप्पणी-

उच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी (पति) ने याचिकाकर्ता (पत्नी) की पीठ पीछे उसकी जानकारी के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड की है, जो उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त याचिकाकर्ता के अधिकार का भी उल्लंघन है. तदनुसार, विद्वान परिवार न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया गया है.’

Translate »
Scroll to Top