बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मृतक का पोस्टमॉर्टम करने में घोर लापरवाही और अवैधता के लिए एक डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया।
यह निर्देश मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में विरोधाभासों के संबंध में ठाणे के जिला सामान्य अस्पताल के जिला सिविल सर्जन द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के जवाब में आया।
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के. चव्हाण की सिंगल बेंच सुनवाई करते हुए कहा की, “महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव और साथ ही ठाणे के पुलिस आयुक्त को उक्त रिपोर्ट के साथ-साथ इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का संज्ञान लेने और उचित कानूनी पहल करने का निर्देश दिया जाता है।” मृतक मोहन भोईर का पोस्टमॉर्टम करने में इतनी बड़ी लापरवाही और अवैधता के लिए डॉ. फड़ और संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।”
आवेदक के तरफ से अधिवक्ता नीलेश नवले ने पक्ष रखा और प्रतिवादी की ओर से एपीपी आशीष सातपुते ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।
डॉक्टर की एक कमेटी को पोस्टमार्टम कर मृतक की मौत के कारण पर राय देनी थी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, जिसे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) को भेजा जाना था, डॉक्टर के निजी अस्पताल के आधिकारिक लेटरहेड पर रिपोर्ट जमा करने में विफल रहने पर लिखी गई थी, हालांकि पोस्टमॉर्टम सरकारी अस्पताल में किया गया था। दूसरे, जो विसरा एफएसएल को भेजा जाना था, उसे बिना फॉर्म भरे ही भेज दिया गया।
यह नोट किया गया कि “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के कॉलम नंबर 17 में उल्लिखित चोटें और जांच पंचनामा मेल नहीं खाती हैं क्योंकि उन्हें ठीक से दर्ज नहीं किया गया है। एमसीसीडी के अनुसार मृत्यु का अंतिम कारण उचित नहीं है।
इसके अतिरिक्त, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों में विरोधाभास थे और डॉक्टर ने मृतक के मस्तिष्क के नमूने भी आगे नहीं भेजे थे।
उसी के आलोक में, न्यायालय ने सचिव, स्वास्थ्य, महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ पुलिस आयुक्त, ठाणे को उक्त रिपोर्ट का संज्ञान लेने और “इतनी गंभीर लापरवाही” के लिए डॉक्टर और अन्य संबंधित लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया। और पोस्टमॉर्टम करने में अवैधता।”
अस्तु, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मामले को 23 अप्रैल, 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
वाद शीर्षक – जयवंत @ भाऊ मुकुंद भोईर बनाम महाराष्ट्र राज्य