इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों को नष्ट करने और राज्य के बरेली जिले में मंदिर के पुजारी की हत्या का प्रयास करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया।
जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि इस तरह के अपराधों को समाज में पनपने की अनुमति नहीं दी जा सकती, समुदाय और लोगों की भावनाओं को व्यापक नुकसान पहुँचाने की कीमत पर नरम रुख अपनाकर।
आरोपी शाहरुख को इस साल जुलाई में इस आरोप में गिरफ्तार किया गया कि उसने और उसके सह-आरोपियों ने न केवल मंदिर में मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया बल्कि मंदिर के पुजारी पर चाकू से हमला भी किया, जिसका उद्देश्य उसे जान से मारना था पुजारी भागने में सफल रहा। उसके खिलाफ यह भी मामला है कि भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों को सावन के पवित्र महीने में तोड़ा गया, क्योंकि आरोपियों का इरादा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था।
अभियुक्त पर इस वर्ष सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों को नष्ट करने का आरोप है, साथ ही सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के उद्देश्य से आरोपी और उसके सह- आरोपियों ने मंदिर के पुजारी पर चाकू से हमला किया। सभी आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 298, 299, 302, 109 (1) और 61(2) के तहत पुलिस स्टेशन इज्जत नगर, बरेली में मामला दर्ज किया गया था।
अस्तु इन प्रस्तुतियों की पृष्ठभूमि में और यह देखते हुए कि इस तरह के अपराध जो लोगों या समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा देते हैं, उन्हें सख्ती से दबाया जाना चाहिए, अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।
वाद शीर्षक – शाहरुख बनाम उत्तर प्रदेश राज्य