इलाहाबाद हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी: मेरठ डीएम की लापरवाही पर कड़ी फटकार

मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट (DM) को कड़ी फटकार

एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाने पर मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट (DM) को कड़ी फटकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट (DM) को कड़ी फटकार लगाई है, जिन्होंने एक एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए

अदालत के निर्देश:

  • मेरठ डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और प्राथमिकी (FIR) सहित आवश्यक दस्तावेज महिला सुरक्षा प्रभाग, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली को सौंपें
  • उत्तर प्रदेश सरकार को भी आदेश दिया गया है कि वह सभी जिलाधिकारियों को एक सर्कुलर जारी करे, ताकि भविष्य में इस तरह की देरी न हो।

मामले की सुनवाई:

  • यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने मेरठ निवासी राजनीता द्वारा दायर याचिका पर दिया।
  • याचिका में पीड़िता ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PM National Relief Fund) से मिलने वाली ₹1 लाख की अतिरिक्त सहायता राशि की मांग की थी
  • अदालत ने पाया कि 3 सितंबर 2024 को गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा प्रभाग के अवर सचिव द्वारा मेरठ डीएम को निर्देश जारी किया गया था, जिसमें पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और प्राथमिकी की प्रमाणित प्रतियां भेजने को कहा गया था

कोर्ट की सख्त टिप्पणियां:

  • अदालत ने इस देरी को “अत्यंत चिंताजनक” बताया और डीएम को निर्देश दिया कि वे मंत्रालय के आदेश का पालन करते हुए एक सप्ताह के भीतर सभी दस्तावेज जमा करें
  • अदालत ने यह भी कहा कि एसिड अटैक 2013 में हुआ था और पीड़िता को कुछ मुआवजा मिल चुका है, लेकिन उसके इलाज और सर्जरी का खर्च दी गई राशि से कहीं अधिक है
  • अतिरिक्त मुआवजा जल्द से जल्द दिलाने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके
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घटना का संक्षिप्त विवरण:

  • दिसंबर 2013 में सड़क निर्माण से जुड़े विवाद के दौरान राजनीता पर तेजाब फेंका गया था
  • इस हमले में उनकी आंखों, छाती, गर्दन और चेहरे पर गंभीर जलन आई थी
  • पीड़िता का कहना है कि वह तब से ₹1 लाख की सहायता राशि पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत एसिड अटैक पीड़ितों के लिए स्वीकृत है

निष्कर्ष:

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण पीड़ितों को न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता
सरकार को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और उचित मुआवजा शीघ्र दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए

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