सुप्रीम कोर्ट ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में विफलता पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 2021 के अपने फैसले और उसके बाद जारी आदेशों का पालन न करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति का निर्देश दिया गया था।
बार-बार निर्देशों के बावजूद, अब तक कोई नियुक्ति नहीं की गई है, और कई राज्यों ने अभी तक आवश्यक स्वीकृत पदों की पहचान भी नहीं की है।
अदालत की कड़ी टिप्पणी
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 28 अक्टूबर 2021 के अपने फैसले और बाद में 21 जुलाई 2022 और 12 मार्च 2024 को जारी आदेशों के क्रियान्वयन की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
अदालत ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़े उपलब्ध होने के बावजूद, अधिकांश राज्यों ने आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं।
राज्यों की निष्क्रियता और छात्रों का डेटा
अदालत के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 लाख से अधिक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे नामांकित हैं। इसके बावजूद, विशेष शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया ठप पड़ी है।
अदालत ने इस निष्क्रियता पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई, खासतौर पर तब, जब केंद्र सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के लिए 1:10 और मध्य व उच्च विद्यालयों के लिए 1:15 का शिक्षक-छात्र अनुपात निर्धारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: सख्त समयसीमा में कार्रवाई आवश्यक
अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, जो एक सख्त समय सीमा के भीतर पूरे किए जाने चाहिए:
- स्वीकृत पदों की पहचान और अधिसूचना: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तीन सप्ताह के भीतर (28 मार्च 2025 तक) विशेष शिक्षकों के लिए स्वीकृत पदों की अधिसूचना जारी करनी होगी।
- पदों का विज्ञापन: रिक्तियों को दो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए और राज्य शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए।
- योग्य शिक्षकों का चयन: केवल वे शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जो पुनर्वास परिषद (RCI) से मान्यता प्राप्त आवश्यक योग्यता रखते हों।
संविदा विशेष शिक्षकों का नियमितीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने उन हजारों संविदा विशेष शिक्षकों की स्थिति पर भी संज्ञान लिया, जो कुछ राज्यों में लगभग दो दशकों से कार्यरत हैं। इस मुद्दे को हल करने के लिए, अदालत ने राज्यों को एक तीन-सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी गठित करने का निर्देश दिया, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे:
- राज्य के दिव्यांगजन आयुक्त (या जिन राज्यों में यह पद रिक्त हो, वहां विधि सचिव/उनका प्रतिनिधि)
- संबंधित राज्य के शिक्षा सचिव
- पुनर्वास परिषद (RCI) का एक नामित प्रतिनिधि
यह समिति संविदा शिक्षकों की पात्रता की समीक्षा करेगी और जो योग्य व सक्षम पाए जाएंगे, उन्हें विशेष शिक्षकों के वेतनमान पर नियमित किया जाएगा। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने योग्य उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में छूट देने की अनुमति दी है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि वेतनमान का लाभ केवल भविष्य की नियुक्ति की तारीख से दिया जाएगा, न कि पूर्व प्रभाव से।
अनुपालन के लिए सख्त समयसीमा
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भर्ती और चयन की पूरी प्रक्रिया 12 सप्ताह के भीतर पूरी की जानी चाहिए, जिसमें प्रारंभिक तीन सप्ताह की समयसीमा स्वीकृत पदों की पहचान के लिए निर्धारित की गई है।
अदालत ने कहा:
“हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि वेतनमान का लाभ केवल नियुक्ति की तिथि से लागू होगा, न कि पूर्व प्रभाव से। नियुक्ति केवल स्वीकृत पदों पर की जाएगी और स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही वेतनमान दिया जाएगा। जिन राज्यों में पहले से स्वीकृत पद हैं, वे तुरंत चयन प्रक्रिया शुरू करें।”
छोटे राज्यों के लिए विशेष निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर जैसे छोटे राज्यों में लॉजिस्टिक चुनौतियों पर भी विचार किया और उन्हें उपलब्ध योग्य शिक्षकों के आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया।
अगली सुनवाई: 15 जुलाई 2025
सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला अब 15 जुलाई 2025 को समीक्षा के लिए सूचीबद्ध किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आदेशों का अनुपालन किया है।
वाद शीर्षक – राजनीश कुमार पांडेय एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य
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