उच्चतम न्यायालय का आदेश: उपभोक्ता निवारण आयोग के अध्यक्षों और सदस्यों को तुरंत वेतन व सुविधाएं दी जाएं

उच्चतम न्यायालय का आदेश: उपभोक्ता निवारण आयोग के अध्यक्षों और सदस्यों को तुरंत वेतन व सुविधाएं दी जाएं

उच्चतम न्यायालय का आदेश: उपभोक्ता निवारण आयोग के अध्यक्षों और सदस्यों को तुरंत वेतन व सुविधाएं दी जाएं

उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे राज्य और जिला उपभोक्ता निवारण आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों को मौजूदा नियमों के अनुसार वेतन और अन्य सुविधाओं का तत्काल भुगतान करें।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की पीठ उपभोक्ता फोरम के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केंद्र को नियमों में संशोधन पर निर्णय लेने का निर्देश

अदालत ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह Consumer Protection (Salary, Allowances, and Conditions of Service of President and Members of the State Commission and District Commission) Model Rules, 2020 में संशोधन के संबंध में शीघ्र निर्णय ले।

“हम सभी राज्य सरकारों को निर्देश देते हैं कि इस मामले से संबंधित विभिन्न दलीलों के लंबित रहने के बावजूद, मौजूदा राज्य नियमों के अनुसार अध्यक्षों और सदस्यों को वेतन व अन्य सुविधाओं का तुरंत भुगतान किया जाए,” पीठ ने कहा।

सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो अनुच्छेद 142 के तहत कदम उठाएगा न्यायालय

अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार संशोधन पर निर्णय लेने में विफल रहती है, तो न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का उपयोग करने पर विचार करेगा।

“इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, यदि भारत सरकार कोई समाधान नहीं निकालती, तो हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने पर विचार करना होगा,” अदालत ने कहा।

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अमान्यता की स्थिति में आगे की कार्रवाई का प्रावधान

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई राज्य सरकार निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो संबंधित पक्ष अदालत द्वारा नियुक्त ‘एमिकस क्यूरी’ (न्याय मित्र) को सूचित कर सकते हैं, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।

“यदि कुछ राज्य सरकारें निर्देशों का पालन नहीं करती हैं, तो संबंधित पक्ष इस बारे में ‘एमिकस क्यूरी’ को एक नोट सौंप सकते हैं, ताकि अदालत उचित आदेश पारित कर सके,” पीठ ने आदेश दिया।

मामले से जुड़े प्रमुख अधिवक्ता

  • याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नचिकेता जोशी पेश हुए।
  • प्रतिवादियों की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने पैरवी की।
  • अदालत द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन थे।

वाद शीर्षक – उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के सदस्यों के वेतन एवं भत्ते के संबंध में
वाद संख्या – रिट याचिका (सिविल) संख्या 1144/2021

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