सुप्रीम कोर्ट का आदेश: एनडीपीएस एक्ट मामले में अधिवक्ता के वाहन को रिहा करने का निर्देश

न्यायालय के आदेशों की फर्जी प्रतियों का निर्माण न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध सबसे भयावह अपराध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: एनडीपीएस एक्ट मामले में अधिवक्ता के वाहन को रिहा करने का निर्देश


सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत जब्त किए गए एक अधिवक्ता के वाहन को रिहा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई वाहन जब्ती के लिए उत्तरदायी माना जाता है, तो वाहन मालिक को सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए। यदि मालिक यह साबित कर देता है कि वाहन का उपयोग उसकी जानकारी या मिलीभगत के बिना हुआ है और उसने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी उचित सावधानियां बरती हैं, तो जब्ती उचित नहीं है।


⚖️ न्यायालय का अवलोकन:

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा,

“यह आवश्यक है कि जब्ती आदेश पारित करने से पहले, जब्त वाहन के मालिक को सुनवाई का अवसर दिया जाए। यदि वाहन का मालिक यह साबित कर दे कि वाहन का उपयोग आरोपी ने उसकी जानकारी या सहमति के बिना किया है, तो वाहन की जब्ती नहीं की जा सकती।”


📝 मामले के तथ्य:

  • अधिवक्ता ने बैंक से वित्तपोषित वाहन खरीदा था, जिसे एनडीपीएस एक्ट के तहत पुलिस ने जब्त कर लिया।
  • जांच अधिकारी के बयान के आधार पर अधिवक्ता को 2017 में मामले से बरी कर दिया गया, लेकिन वाहन पुलिस की हिरासत में रहा।
  • ट्रायल कोर्ट ने वाहन रिहाई की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद अधिवक्ता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।
  • हाईकोर्ट ने वाहन रिहाई का आदेश दिया, लेकिन 6,00,000/- रुपये की जमानत राशि की शर्त रखी।

    सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट केवल मामले के निष्कर्ष पर जब्ती का आदेश दे सकता है।
  • चूंकि अभियुक्त फरार था और मामले के निपटारे का समय निश्चित नहीं था, सुप्रीम कोर्ट ने वाहन को रिहा करने का आदेश दिया।
  • जमानत राशि 6,00,000/- से घटाकर 2,10,000/- की गई।
  • अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वाहन मालिक को वाहन बेचने या स्थानांतरित करने की अनुमति होगी।
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निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय देते हुए अपील का निपटारा किया कि किसी भी वाहन को अनिश्चित काल तक जब्त रखना अनुचित है और वाहन मालिक को न्यायिक सुनवाई का अधिकार है।

वाद शीर्षक – तरुण कुमार माझी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
वाद संख्या -विशेष अनुमति याचिका (सीआरएल)17081/2024

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