सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट

🏛️ सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी


सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नितीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की रिहाई की याचिका पर निर्णय न लेने के कारण दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया है।


⚖️ अदालत की टिप्पणी:

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भूइयां शामिल थे, ने दिल्ली सरकार की ओर से समय पर निर्णय न लेने पर नाराज़गी जताई।

  • अदालत ने कहा,

“हमें लगता है कि जब तक अवमानना नोटिस जारी नहीं किया जाता, तब तक हमारे आदेशों का पालन नहीं होता।”

  • पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार ने समय सीमा बढ़ाने के लिए कोई आवेदन भी नहीं दिया।

📋 मामले के तथ्य:

  • सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को नितीश कटारा की हत्या के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
  • दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दो सप्ताह में उसकी रिहाई पर निर्णय लेने का वादा किया था।
  • सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली सरकार का सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) उसी दिन बैठक कर रहा था, लेकिन अदालत ने इसे समय पर निर्णय न लेने का बहाना माना।

🧐 सुप्रीम कोर्ट की सख्ती:

  • अदालत ने दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर नाराज़गी जताते हुए कहा,

“दिल्ली सरकार की नीति बन गई है कि जब तक अवमानना का खतरा नहीं होगा, तब तक वे निर्णय नहीं लेंगे।”

  • न्यायमूर्ति ओका ने कहा,

“कैसे किसी व्यक्ति को 20 साल की सजा पूरी करने के बाद भी जेल में रखा जा सकता है?”

  • अदालत ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को 28 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
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💡 सरकार की दलीलें:

  • दिल्ली सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने कहा कि सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक उसी दिन होनी थी।
  • सरकार ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि सरकार ने पहले समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध तक नहीं किया।

🔍 पृष्ठभूमि:

  • नितीश कटारा हत्याकांड में दोषी पहलवान ने सुप्रीम कोर्ट में रिहाई की याचिका दायर की थी।
  • पहलवान को 20 साल की सजा पूरी करने के बाद भी जेल में रखा जा रहा था, जबकि अन्य दोषियों को पहले ही सजा मिल चुकी थी।
  • अदालत ने सरकार से सवाल किया कि सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी व्यक्ति को जेल में कैसे रखा जा सकता है।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषी के स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और सरकार को समय पर निर्णय लेना होगा।
अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर दिया।

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