सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई गुज़ारा भत्ते की राशि, कहा – पत्नी को वैसा जीवन स्तर मिलना चाहिए जैसा विवाह के दौरान था
सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक मामले में पत्नी को मिलने वाले स्थायी गुज़ारा भत्ते (permanent alimony) की राशि बढ़ाते हुए कहा है कि पत्नी को ऐसा जीवनस्तर मिलना चाहिए, जो विवाह के दौरान उसके द्वारा भोगे गए स्तर को दर्शाता हो। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को संशोधित करते हुए पत्नी की अपील को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट की टिप्पणी:
पीठ ने कहा, “हमें लगता है कि हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित स्थायी गुज़ारा भत्ते की राशि में संशोधन की आवश्यकता है। पति की आय, वित्तीय खुलासे और पूर्व कमाई यह दर्शाते हैं कि वह अधिक राशि देने में सक्षम है। अपीलकर्ता-पत्नी, जो अविवाहित हैं और स्वतंत्र रूप से रह रही हैं, को उस जीवनस्तर के अनुरूप गुज़ारा भत्ता मिलना चाहिए, जो उन्होंने विवाह के दौरान भोगा था। साथ ही, बढ़ती महंगाई और वित्तीय निर्भरता को ध्यान में रखते हुए पुनः मूल्यांकन ज़रूरी है।”
आदेश का सार:
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पत्नी को ₹50,000 प्रति माह स्थायी गुज़ारा भत्ता मिलेगा, जो हर दो वर्षों में 5% की वृद्धि के अधीन होगा। बेटे (जिसकी उम्र अब 26 वर्ष है) के लिए अनिवार्य वित्तीय सहायता देने से कोर्ट ने इनकार किया, लेकिन पति अगर चाहे तो स्वेच्छा से सहायता कर सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बेटे के उत्तराधिकार के अधिकार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पृष्ठभूमि:
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पति की अपील स्वीकार कर तलाक का डिक्री पारित की थी और पत्नी को एक निश्चित राशि स्थायी गुज़ारा भत्ते के रूप में दी थी। पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर अपील की कि यह राशि विवाह के दौरान के जीवनस्तर के अनुरूप नहीं है और दरअसल यह राशि पहले अंतरिम गुज़ारा भत्ते के रूप में निर्धारित की गई थी।
निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश संशोधित करते हुए पत्नी की अपील स्वीकार कर ली और स्थायी गुज़ारा भत्ते की राशि ₹50,000 प्रति माह निर्धारित की, जिसमें हर दो साल में 5% की वृद्धि होगी।
प्रकरण शीर्षक: X बनाम Y
तटस्थ उद्धरण: 2025 INSC 789
अपीलकर्ता की ओर से: AOR अशुतोष दुबे
प्रतिवादी की ओर से: AOR राशिद एन. अज़म
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