मध्य प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट की स्पष्टता: नियम अनुमति दें तो 61 वर्ष तक हो सकती है सेवा
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि मध्य प्रदेश राज्य के नियमों में प्रावधान हो और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट प्रशासनिक स्तर पर निर्णय ले, तो राज्य के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 61 वर्ष तक बढ़ाने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश जजेज़ एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह न्यायिक अधिकारियों की भी सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
“हम यह नहीं मानते कि उत्तरदाता—राज्य शासन एवं मध्य प्रदेश हाईकोर्ट—को राज्य के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष तक बढ़ाने में कोई विधिक अड़चन है।”
“यदि राज्य द्वारा बनाए गए नियम इसकी अनुमति देते हैं और हाईकोर्ट प्रशासनिक पक्ष से इस संबंध में निर्णय लेता है, तो यह पूर्णतः विधिसम्मत होगा।”
पृष्ठभूमि:
मध्य प्रदेश जजेज़ एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ताकि राज्य के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु राज्य सरकार के अन्य कर्मचारियों की तरह 62 वर्ष तक की जाए। इसके लिए याचिका में मध्य प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा नियम, 2017 की धारा 16 और मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 (संशोधित) की धारा 14 में आवश्यक संशोधन की मांग भी की गई थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस मांग को अपने प्रशासनिक पक्ष पर इस आधार पर अस्वीकार कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 21 मार्च, 2002 को दिए गए आदेश (All India Judges’ Association बनाम भारत संघ) के अनुसार, ऐसी वृद्धि संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की कानूनी दृष्टि:
सर्वोच्च न्यायालय ने 23 नवंबर, 2023 को तेलंगाना हाईकोर्ट को दिए गए एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें तेलंगाना सरकार द्वारा सार्वजनिक कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से 61 वर्ष करने के बाद, न्यायिक अधिकारियों के लिए भी सेवा नियमों में संशोधन की अनुमति दी गई थी।
“हाईकोर्ट तेलंगाना की प्रार्थना स्वीकार की जाती है… सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से न्यायिक अधिकारियों को लाभ मिलेगा।”
इसी तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट एवं राज्य सरकार भी ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते नियम इसकी अनुमति दें।
अंतिम आदेश:
पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस विषय पर तीन माह के भीतर प्रशासनिक निर्णय ले।
मामला: मध्य प्रदेश जजेज़ एसोसिएशन बनाम राज्य शासन मध्य प्रदेश एवं अन्य
याचिका संख्या: W.P.(C) No. 819/2018
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