कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीजेपी एमएलसी एन. रविकुमार के खिलाफ FIR पर रोक लगाई, कहा– “राजनीति अब नए पतन की ओर”
बेंगलुरु | विधि संवाददाता
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य की मुख्य सचिव शालिनी राजनीश के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक और अश्लील टिप्पणी करने को लेकर बीजेपी एमएलसी एन. रविकुमार के खिलाफ दर्ज FIR पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 8 जुलाई तक कोई कठोर कदम न उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता यानी रविकुमार जांच में पूरा सहयोग दें।
न्यायमूर्ति की तीखी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की—
“राजनीतिज्ञ अब नए स्तर तक गिरते जा रहे हैं।”
कोर्ट ने कहा,
“प्रतिवादी को नोटिस जारी किया जाता है, जो मंगलवार को प्रत्युत्तर योग्य है। तब तक याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई न की जाए। याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करें।”
प्रशासनिक संघ की तीव्र प्रतिक्रिया
इस मामले में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा संघ और IAS अधिकारियों के संगठन ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को भेजे पत्र में कहा—
“राज्य की मुख्य सचिव, जो सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर हैं, के खिलाफ सार्वजनिक रूप से की गई यह टिप्पणी न केवल अश्लील और मानहानिपूर्ण है, बल्कि संस्थागत गरिमा पर सीधा हमला है।”
पत्र में आगे कहा गया:
“शालिनी राजनीश एक ईमानदार, प्रतिबद्ध और प्रतिष्ठित अधिकारी हैं। इस तरह की बयानबाजी न केवल उनके कार्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे में जनता के विश्वास को कमजोर करती है।”
यह पहली घटना नहीं
संघ ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि यह रविकुमार का पहला विवादित बयान नहीं है। इससे पहले उन्होंने कलबुर्गी जिले के डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ भी बेसिर-पैर के और सांप्रदायिक बयान दिए थे।
“हमारी पहले की अपील के बावजूद, इस तरह की पुनरावृत्ति चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाती है।”
प्रशासनिक संघ की मांगें
IAS संघ ने सरकार से निम्नलिखित कार्रवाई की मांग की:
- रविकुमार द्वारा सार्वजनिक और बिना शर्त माफी।
- संबंधित कानूनी धाराओं के तहत तुरंत आपराधिक कार्रवाई।
- विधान परिषद में रविकुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया जाए।
- अधिकारियों को बिना डर और राजनीतिक दबाव के कार्य करने का माहौल सुनिश्चित किया जाए।
पृष्ठभूमि
बताया गया कि रविकुमार ने सोमवार को विधान सौधा के सामने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान यह कथित अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद बुधवार को उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
यह मामला एक बार फिर प्रशासनिक पदों की गरिमा, राजनीतिक शिष्टाचार और सार्वजनिक जीवन में मर्यादा की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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