इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट Litigant Association के अध्यक्ष आरके पठान की ओर से भेजी गई शिकायत पर सख्त आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया है।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस संबंध में अध्यक्ष राधाकांत ओझा की अगुवाई में बैठक कर कहा कि राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के विरुद्ध छवि खराब करने की नीयत से किया गया कृत्य है। पदाधिकारियों ने इसकी निंदा की और प्रस्ताव पारित करते हुए राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि दुष्प्रेरणा से लगाए गए ऐसे आरोप को तत्काल खारिज करने की अपेक्षा की जाती है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता राधाकांत ओझा ने कहा कि न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ 31 अक्तूबर 2013 से 12 मई 2016 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में कार्यरत रहे। इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले दिए। बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का उनके प्रति हमेशा से विशेष स्नेह रहा है।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव अधिवक्ता सत्य धीर सिंह जादौन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायमूर्ति के तौर पर डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायमूर्ति यूयू ललित द्वारा सुझाव दिया जाना स्वागत योग्य है। उनका चयन ऐतिहासिक है। यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए गरिमामयी है।
इस बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, नीरज कुमार त्रिपाठी, सुरेंद्र नाथ मिश्र, धर्मेंद्र सिंह यादव, सत्यम पांडेय, आशुतोष त्रिपाठी, श्यामा चरण त्रिपाठी व संजय सिंह सोमवंशी आदि मौजूद रहे।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की नियमावली में बदलाव होगा-
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अपनी नियमावली में संशोधन करेगी। इसके लिए पदाधिकारियों के साथ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों से राय मांगी जा रही है। मंगलवार को आयोजित बैठक में इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श किया गया। कहा गया कि नियमावली में संशोधन के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। प्रस्ताव को पदाधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन ने बताया कि बुधवार को भी इस पर चर्चा की जाएगी। अध्यक्ष अधिवक्ता राधाकांत ओझा ने कहा कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अपने 150 साल पूरे करने जा रही है। बार एसोसिएशन अपनी नियमावली में कई बदलाव की आवश्यकता को महसूस कर रहा है, ताकि आने वाले समय में बार एसोसिएशन की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा जा सके।