आखिर क्यों इतना उग्र हो गए जस्टिस माहेश्वरी? सुप्रीम कोर्ट में उलझ गए माननीय वकील विकास सिंह से, हुई तिखी बहस

Estimated read time 1 min read

सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और एडवोकेट विकास सिंह के बीच तीखी बहस हो गई।

सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार को न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी (Justice Dinesh Maheshwari) सीनियर एडवोकेट व सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष विकास सिंह (Advocate Vikas Singh) के बीच गहमागहमी देखने को मिली।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने अधिवक्ता विकास सिंह के व्यवहार पर नाराजगी जताई। दोनों के बीच काफी देर बहस चलती रही।

दरअसल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की बेंच ताजा मामलों को सुनने के बाद, ऐसे मामलों की सुनवाई करने लगी जो एक दिन पहले अधूरे रह गए थे।

इस पर एडवोकेट विकास ने टोकते हुए आपत्ति जताई। जिस पर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि यह पहले ही लिस्ट में बताया गया था कि ताजा मामलों को सुनने के बाद सप्लीमेंट्री लिस्ट के मामलों की सुनवाई होगी। लेकिन इसके बाद भी विकास सिंह तर्क करते रहे।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि तीन कोर्ट में इस तरह की समस्या है। अगर किसी अधूरे मामले की सुनवाई है तो लिस्ट में इसे भी दर्शाना चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि सप्लीमेंट्री लिस्ट के ये वही मामले हैं, जिन्हें कल बोर्ड पर दिखाया गया था।

एक ही बात को बार-बार एक्सप्लेन करते रहें?

एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि बार काउंसिल का प्रेसिडेंट होने के नाते यह मेरी ड्यूटी है कि अगर कहीं कोई समस्या या खामी है तो उसकी तरफ आपका ध्यान आकर्षित करें। इस पर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने जवाब दिया कि क्या हम आपको बार-बार एक ही बात एक्सप्लेन करते रहें? आपने व्यक्तिगत तौर पर पूरे मामले को वेरीफाई नहीं किया..क्या आपने ऐसा किया? आप बार काउंसिल सबसे सीनियर मेंबर हैं, ऐसे में हम आपसे इससे अधिक की उम्मीद करते हैं।

ALSO READ -  विदेशी वकील और विदेशी कानून फर्म अब कर सकेंगे भारत में कानून की प्रैक्टिस, मिली मंजूरी

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और एडवोकेट विकास सिंह के बीच तीखी गहमागहमी यहीं नहीं रुकी। विकास सिंह ने कहा कि मैं यही नहीं ढूंढता रहूंगा कि किस मामले की सुनवाई एक दिन पहले अधूरी रह गई थी। आज की लिस्ट में भी ऐसे मामलों को रखना चाहिए। मैं इस कोर्ट में 32 साल से वकालत कर रहा हूं, पर यह एक नई समस्या देखने को मिल रही है। इसपर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि अगर कल के किसी अधूरे मामले को आज सुना जा रहा है तो इसमें समस्या क्या है? हमें तो नहीं समझ में आ रहा है…।

आखिर क्यों इतना उग्र हो रहे हैं माननीय?

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने आगे कहा कि, ‘आपने कहा कि हम अचानक दूसरे मामले में कूद पड़े। जबकि लिस्ट में साफ-साफ लिखा है कि ताजा मामलों के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई होगी, जो अधूरे रह गए थे। आपको और जिम्मेदार बनना चाहिए… यह बहुत आश्चर्यजनक बात है..’। एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि आप बहुत उग्र हो रहे हैं, कृपया मामले की सुनवाई करें…।

इस पर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि आप एक्साउइटेड जैसा शब्द यूज कर रहे हैं… इस तरह किसी से भी बीच में टोका-टाकी की अपेक्षा नहीं है। हमें जो जरूरी लगेगा वही करेंगे। आप जैसे सीनियर व्यक्ति से किसी भी टिप्पणी से पहले और जिम्मेदारी की अपेक्षा रखते हैं। आपको तथ्यों की सही जानकारी नहीं है और ना ही इसे स्वीकार करने को तैयार हैं। ऐसा लगता है कि जिसने भी आपको जानकारी दी, उसने पूरी बात नहीं बताई।

ALSO READ -  वकीलो ने लिखा चीफ जस्टिस को पत्र, कहा कोर्ट परिसर में हेडस्कार्फ पहनकर न आये वकील, पालन हो ड्रेस कोड का-

मेरे 3-4 महीने और बचे हैं लेकिन…

गौरतलब है कि बाद में लंच से पहले जब न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी उठने लगे तो एक अन्य सीनियर एडवोकेट वी. गिरी ने पूरे मामले पर खेद व्यक्त किया और कहा कि हमें भी तकलीफ है कि कोर्ट में ऐसा हुआ। इसपर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि मैं 3-4 महीने में रिटायर हो जाऊंगा। पिछले 19 सालों में कभी भी ऐसे व्यवहार का सामना नहीं किया। संस्था के प्रति सदैव ही सम्मान होना चाहिए। अपनी बात को रखने का एक सलीका होता है…कोई पर्सनल मुद्दा नहीं है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भी कहा कि सीनियर वकीलों को और अनुशासित होना चाहिए।

कौन हैं न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी?

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से विधि की पढ़ाई की है। उन्होंने साल 1981 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी। सितंबर 2004 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट का जज बनाया गया था। फिर 2014 से 2016 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी जज रहे। सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले जस्टिस दिनेश माहेश्वरी फरवरी 2016 से 2018 तक मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और फरवरी 2018 से जनवरी 2019 तक कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं।

You May Also Like