रोहिणी कोर्ट की घटना के बाद झारखंड बार काउंसिल ने न्यायालयों में की सुरक्षा बढ़ाने की मांग-

रोहिणी कोर्ट की घटना के बाद झारखंड बार काउंसिल ने न्यायालयों में की सुरक्षा बढ़ाने की मांग-

झारखंड स्टेट बार काउंसिल Jharkhand State Bar Council ने मांग की है कि जिस न्यायालय में चारदीवारी नहीं है वहां शीघ्र ही इसका निर्माण कराया जाए. इसके साथ ही मेटल डिटेक्टर Metal Detector भी लगवायी जाए.

झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन Vice Chairman और वरिष्ठ अधिवक्ता Senior Advocate राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक और राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल भेजकर दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में घटित घटना और गैंगवार पर चिंता जताते हुए राज्य के सभी स्तर के न्यायालयों में सुरक्षा बढ़ाने का आग्रह किया है, ताकि ऐसी घटनाएं झारखंड में न हो.

राजेश कुमार शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं. उन्होंने अपने खत में लिखा, ‘पूर्व में झारखंड में भी ऐसी घटनाएं कोर्ट प्रांगण में हो चुकी हैं. इसके बाद सभी न्यायालयों में उच्च न्यायालय के निर्देश पर सुरक्षा भी बढ़ाई गयी. लेकिन जिस प्रकार की घटनाएं फिल्मी तर्ज पर अब न्यायालयों में भी होने लगी है उसमें सतर्क रहने की जरूरत है.

अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री शुक्ल से कोल्हान प्रमंडल के प्रमुख अधिवक्ताओ का शिष्टमंडल, सरायकेला के वरिष्ठ अधिवक्ता गोलक नाथ पति के नेतृत्व में उनके आवास पर मिला तथा न्यायालय परिसर में सुरक्षा और भी पुख्ता कराने की मांग की.

शुक्ल ने बताया कि इस संबंध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल पहले से ही गंभीर है. हजारीबाग और जमशेदपुर न्यायालय परिसर में घटित घटना के बाद कई कदम उठाए गए हैं और आगे काउंसिल की होने वाली बैठक में इस पर विस्तृत रूप से चर्चा होगी.

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शुक्ल ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को सुझाव दिया है कि सुरक्षा गंभीर मुद्दा है. इसपर जिला न्यायालय, जिला बार एसोसिएशन और जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक होनी चाहिए और सुरक्षा के मुद्दे पर हर पहलुओं पर विचार कर निर्णय लिया जाना चाहिए. ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचा जा सके.

शुक्ल ने कहा है कि आज राज्य में कई न्यायालय ऐसे है जहां अधिवक्ता खुले में बैठकर अपना दायित्व निभाते हैं. इसलिए जिस न्यायालय में चारदीवारी नहीं है, वहां चारदीवारी का निर्माण शीघ्र कराया जाना चाहिए और वहां मेटल डिटेक्टर भी लगवाया जाना चाहिए. ताकि अधिवक्ता निर्भीकता से अपना कानूनी क्षेत्र का कार्य कर सकें. सभी स्तर के न्यायालयों में मेटल डिटेक्टर लगाने से ऐसे तत्व न्यायालय परिसर में शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं कर पायेंगे और ऐसी घटनाओं पर रोकथाम लगेगी.

शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से काउंसिल के सदस्य मिलकर अपनी बातें रखेंगे. साथ ही सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था और लंबित एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को शीघ्र झारखंड में लागू करने की मांग रखेंगे.

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