इलाहाबाद HC ने जज से पूछा, कहा क्यों न कोर्ट को दिग्भ्रमित करने के लिए CJ को उनके खिलाफ कार्रवाई हेतु मामले को भेजा जाए-

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हाई कोर्ट ने कहा धारा 151 सीपीसी के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं किया जा सकता था। 

उच्च न्यायालय ने सख्त लहजे में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज से कहा कि मुकदमा दूसरे जज को स्थानांतरित करें। साथ ही भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. कंपनी सहित विपक्षी बड़े अधिकारियों पर कोर्ट को दिग्भ्रमित करने के लिए क्यों न कार्रवाई की जाए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपर सिविल जज गौतम बुद्धनगर से स्पष्टीकरण मांगा है कि जो आदेश उन्हें नहीं देना चाहिए, उसे पारित करने के लिए क्यों न मुख्य न्यायमूर्ति से उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए अनुरोध किया जाए। हाईकोर्ट ने अपर सिविल जज से 30 मई 2022 तक सफाई मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम Uttar Pradesh State Industrial Development Corporation की याचिका पर दिया है।

हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश से कहा कि मुकदमा दूसरे जज को स्थानांतरित करें। साथ ही भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. कंपनी सहित विपक्षी बड़े अधिकारियों पर कोर्ट को दिग्भ्रमित करने के लिए क्यों न कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने उन्हें हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विपक्षी सुप्रीम कोर्ट भी गया। अंतरिम आदेश के बावजूद हाईकोर्ट आने के बजाय ट्रायल कोर्ट से ऐसा आदेश दे दिया जिसे उसे देना नहीं चाहिए था

न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने कहा यह समझ से परे है कि हाईकोर्ट में केस विचाराधीन है, अंतरिम आदेश भी है। कोर्ट आने के बजाय आदेश लेने के लिए अधीनस्थ अदालत में जा रहे हैं।

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हाई कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ डिफेक्टिव अपील के बावजूद कोर्ट धारा-24 सीपीसी के तहत (सूओ मोटो) स्वत: प्रेरित आदेश जारी किया है। अपीलार्थी को फार्मल आदेश महानिबंधक कार्यालय में जमा करने तथा अपील को नियमित नंबर आवंटित करने का निर्देश दिया है।

बेंच ने कहा की हम रजिस्ट्रार जनरल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह विद्वान न्यायाधीश की टिप्पणी के लिए कहें कि हमें मुख्य न्यायाधीश से संबंधित अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश, गौतमबुद्धनगर के खिलाफ प्रशासनिक पक्ष पर कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध क्यों नहीं करना चाहिए और हम जिला जज से अनुरोध करते हैं इस मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को हस्तांतरित करें। हम यह स्वत: संज्ञान लेते हुए सीपीसी की धारा 24 के तहत भी आदेश देते हैं। 

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस आदेश को संबंधित जज से स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए जिला जज गौतमबुद्धनगर को भेजा जाए। 

सुनवाई की अगली तिथि 30 मई 2022 है।

केस टाइटल – Uttar Pradesh State Industrial Development Corporation vs Bhasin Infotech And Infrastructure Private Limited

केस नंबर – FIRST APPEAL FROM ORDER DEFECTIVE No. – 162 of 2022

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