इलाहाबाद HC ने गवर्नमेंट कौंसिल होते हुए स्थानीय निकायों, प्राधिकरणों के मुकदमों की पैरवी मामले में अपर महाधिवक्ता को दी राहत-

इलाहाबाद उच्च न्यायालय Allahabd High Court की मुख्य न्यायाधीश Chief Justice की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गवर्नमेंट कौंसिल रहते हुए स्थानीय निकायों, निगमों व प्राधिकरण की ओर से मुकदमों की पैरवी करने के मामले में एक अपर महाधिवक्ता को राहत दी है।

उनके खिलाफ सिंगल बेंच के आदेश और टिप्पणियों को रद्द कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को दिए गए एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने यह आदेश अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग दाखिल विशेष अपीलों पर दिया है।

स्टेट गवर्नमेंट की ओर से राज्‍य विधि अधिकारियों को लेकर टिप्‍पणी की थी –

मामले के अनुसार मई माह में एकल पीठ ने ईशान इंटरनेशनल एजुकेशनल सोसायटी के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट में मुकदमों की पैरवी के लिए तैनात राज्य विधि अधिकारियों को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। राजीव कुमार के एक अन्य अवमानना याचिका के मामले भी एकल पीठ ने अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी के मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से पैरवी करने पर आपत्ति की थी। साथ ही उनके बिल के भुगतान पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता व महाधिवक्‍ता की दलील-

स्पेशल अपील Special Appeal में अपीलार्थी एमसी चतुर्वेदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिन्हा का तर्क था कि व्यवस्था में ऐसा कोई रोक नहीं है। वहीं, महाधिवक्ता अजय मिश्र ने कहा कि जिस मामले में आदेश किया गया है, उसमें राज्य सरकार पक्षकार ही नहीं थी। न ही राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। न्यायालय में कहा राज्य सरकार सरकारी वकीलों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कर रही है या नहीं। कहा कि हाई कोर्ट की खंडपीठ ने भी एक जनहित याचिका पर सरकारी वकीलों की नियुक्ति को लेकर के निर्देश दिए हैं। हालांकि वह जनहित याचिका अभी लंबित है।

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कोर्ट ने कहा-

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की को सुनने के बाद एकल पीठ के फैसले के उस हिस्से को रद कर दिया, जिसमें राज्य सरकार व अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी के संबंध में टिप्पणी थी।

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