पांच न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई, जिसमें से दो के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायलय Allahabad High Court की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी Administrative Committee को 5 न्यायिक अधिकारियों Judicial Officers पर भ्रष्टाचार के आरोप की शिकायत मिली थी। जांच के दौरान उत्तर प्रदेश में तैनात तीन न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोप को सही पाए जाने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया है। दो अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण हाईकोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के दो अपर जिला एवं सत्र न्यायधीशों और एक विशेष न्यायधीश अनुसूचित जाति/जनजाति कानून को दुर्व्यवहार के आरोप में दोषी मानते हुए बर्खास्त करने की संस्तुति राज्यपाल को भेजी है। पांच न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई, जिसमें से दो के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया। बर्खास्त होने वाले अधिकारियों में बदायूं में 11 जुलाई 15से निलंबित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह, बलिया से निलंबित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हिमांशू भटनागर और सिद्धार्थनगर के विशेष न्यायधीश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम डॉ. राकेश कुमार जैन को बर्खास्त करने की संस्तुति की गई है। राज्यपाल से कभी भी इसकी मंजूरी मिल सकती है।
इन जजों के खिलाफ हुई कार्रवाई-
1-अशोक कुमार सिंह (षष्ठम एडीजे)
2-हिमांशु भटनागर, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश
3-डॉ. राकेश कुमार नैन, स्पेशल जज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के जिन अधिकारियों को दोषी पाया गया है, उनमें उनमें अशोक कुमार सिंह (षष्ठम एडीजे), हिमांशु भटनागर, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और डॉ. राकेश कुमार नैन, स्पेशल जज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम शामिल हैं। बता दें कि 28 मार्च 2001 को अशोक कुमार सिंह को अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन), गाजीपुर के रूप में तैनात किया गया था। 4 जुलाई 2015 को उन्हें अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश बदायूं के रूप में नियुक्त किया गया. बीते 11 जुलाई 2015 को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था।
जांच में सभी आरोप सही पाए गए-
डॉ. राकेश कुमार जैन ने 11 अगस्त, 1999 को प्रदेश की न्यायिक सेवा में आए थे। वह विशेष न्यायधीश (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम), सिद्धार्थनगर रहे हैं। तीनों न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलीं। जांच के बाद आरोप सही पाए गए। इसके बाद तीनों न्यायिक अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। जल्द ही राज्य सरकार इससे संबंधित आदेश जारी करेगी।