इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: ग्रैंड ओमेक्स बिल्डर को 25 करोड़ जमा करने और 50 अतिरिक्त फ्लैट जारी करने का निर्देश
विधि संवाददाता
नोएडा के सेक्टर 93बी स्थित ग्रैंड ओमेक्स हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़े लंबित विवादों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने तरुण कपूर व अन्य 29 घर खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिल्डर/डेवलपर ग्रैंड ओमेक्स बिल्डहोम लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर ₹25 करोड़ जमा करने और अतिरिक्त 50 फ्लैट जारी करने का आदेश दिया।
क्या है मामला?
ग्रैंड ओमेक्स और फॉरेस्ट स्पा नामक आवास परियोजनाएं नोएडा प्राधिकरण से लीज़ पर ली गई भूमि पर विकसित की जा रही थीं। याचिकाकर्ताओं—जो इन परियोजनाओं में घर खरीद चुके हैं—का आरोप था कि पूरी कीमत अदा करने के बावजूद बिल्डर उनके पक्ष में ट्रिपार्टाइट एग्रीमेंट निष्पादित नहीं कर रहा था।
नोएडा प्राधिकरण ने इसका कारण बताते हुए अदालत को अवगत कराया था कि बिल्डर ने 250 करोड़ रुपये की बकाया लीज़ रकम नहीं चुकाई, इसलिए फ्लैटों पर कब्ज़ा प्रमाण पत्र (OC) या पूर्णता प्रमाण पत्र (CC) जारी नहीं किया जा सकता। बिल्डर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को भी खारिज कर दिया गया।
राज्य सरकार की योजना और राहत का आधार
कोर्ट ने ध्यान दिलाया कि राज्य सरकार ने एनसीआर में अटकी परियोजनाओं को गति देने हेतु छूट की योजना लाई थी, जिसके तहत ओमेक्स ने कुल बकाया का 25% यानी ₹93 करोड़ पहले ही जमा करा दिया था। इसके बदले में 678 लंबित फ्लैटों में से 170 को मुक्त कर सब-लीज़ डीड निष्पादित करने का आदेश दिया गया था।
बिल्डर के वकील ने अदालत को बताया कि यदि 50 अतिरिक्त फ्लैट जारी किए जाते हैं, तो बिल्डर ₹25 करोड़ और जमा करने के लिए तैयार है। नोएडा प्राधिकरण ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं की। अतः कोर्ट ने निर्देश दिया कि:
- बिल्डर दो सप्ताह के भीतर ₹25 करोड़ जमा करे।
- इसके बाद प्राधिकरण को 50 अतिरिक्त फ्लैट आवंटित करने होंगे।
- फ्लैट आवंटन/खरीद की सूची और क्रेता-बिल्डर समझौते के आधार पर सब-लीज़ डीड निष्पादित किए जाएंगे।
आगे क्या हुआ?
घर खरीदारों के वकील ने मामले को लंबित रखने और प्राधिकरण तथा बिल्डर से स्थिति रिपोर्ट मंगाने की मांग की। कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए पूर्व अंतरिम आदेश में आंशिक संशोधन किया और नोएडा प्राधिकरण को अगली सुनवाई की तारीख तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की गई है।
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