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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन संबंध के आरोप में निलंबित DSP को अंतरिम राहत दी; निलंबन आदेश पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन संबंध के आरोप में निलंबित DSP को अंतरिम राहत दी; निलंबन आदेश पर रोक

न्यायमूर्ति करूनेश सिंह पवार ने पाया कि कथित आचरण सेवा नियमों के तहत ‘दंडनीय दुर्व्यवहार’ नहीं है

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक विवाहित महिला अधिकारी पर विवाहेतर संबंध के आरोप में निलंबित किए गए उप पुलिस अधीक्षक (DSP) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। न्यायमूर्ति करूनेश सिंह पवार की एकल पीठ ने शुक्रवार को DSP मोहम्मद मोहसिन खान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए निलंबन आदेश की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।


पृष्ठभूमि और याचिकाकर्ता की दलीलें

याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके खिलाफ निलंबन आदेश बिना स्वतंत्र विचार के और ADG पुलिस की सिफारिश के आधार पर यांत्रिक ढंग से पारित किया गया है। उन्होंने इस आरोप का भी विरोध किया कि वे एक अन्य महिला से संबंध में हैं, और तर्क दिया कि ऐसा संबंध, यदि मान भी लिया जाए, तो सेवा नियमों के तहत दंडनीय नहीं है।

याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 के नियम 29(1) का उल्लेख करते हुए कहा कि केवल दूसरी शादी करना ही दंडनीय है, न कि किसी महिला से विवाहेतर संबंध रखना, जब तक कि दूसरी शादी विधिवत रूप से प्रमाणित न हो।


अपराधिक मामला भी लंबित, कोर्ट में दी जानकारी

याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 69 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसे उन्होंने एक अलग रिट याचिका में चुनौती दी है। उस मामले में डिवीजन बेंच ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए चार्जशीट दाखिल करने पर रोक लगाई है।

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कोर्ट का आदेश: आरोपित आचरण सेवा नियमों के तहत सिद्ध नहीं होता दंडनीय

कोर्ट ने V.N. Daipuria बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और Shahjahan Khan बनाम उत्तर प्रदेश राज्य जैसे पूर्व निर्णयों का संदर्भ देते हुए कहा कि

“केवल किसी महिला से संबंध रखने मात्र से, जब तक वैवाहिक संबंध विधिक रूप से स्थापित न हो, सेवा नियमों के तहत यह कदाचार नहीं कहा जा सकता।”

अतः कोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह मानते हुए कि निलंबन आदेश स्वतंत्र संतुष्टि के अभाव में पारित किया गया है, उसकी वैधता पर प्रश्न खड़ा किया और आदेश को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया।


आगामी प्रक्रिया

  • राज्य सरकार को चार सप्ताह में काउंटर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश।
  • याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर रिजॉइंडर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति।
  • अगली सुनवाई की तिथि 28 जुलाई 2025 निर्धारित की गई।

मामला: Mohd. Mohsin Khan बनाम राज्य उत्तर प्रदेश
याचिका संख्या: Writ – A No. 5129 of 2025

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