वकीलों की हड़ताल रोकने को इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, कहा बार कौंसिल बनाए प्रभावी नीति

वकीलों की हड़ताल रोकने को इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, कहा बार कौंसिल बनाए प्रभावी नीति

  • अगली सुनवाई सात अगस्त को कोर्ट ने कहा उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी हलफनामे में दें
  • आपराधिक अवमानना याचिका पर सभी जिला जजों से हाई कोर्ट ने मांगी थी रिपोर्ट
  • 218 कार्यदिवसों में 127 में हड़ताल रही यानी 41.74 प्रतिशत
  • वकीलों की हड़ताल के कारण प्रदेश की अधिकांश जिला अदालतों का न्यायिक कामकाज काफी प्रभावित हुआ

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बार कौंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र तथा यू पी बार कौंसिल के अध्यक्ष शिवकिशोर गौर से कहा है वह आपस में बैठ कर वकीलों की हड़ताल न हो इसके लिए नीति बनाएं और अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश करें। कोर्ट में अगली सुनवाई अब सात अगस्त को होगी।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने यह आदेश जिला बार एसोसिएशन प्रयागराज के खिलाफ कायम आपराधिक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

ज्ञात हो की जिला बार एसोसिएशन की तरफ से आए दिन हड़ताल किए जाने के कारण न्यायिक कार्य प्रभावित होने के संबंध में जिला जज की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट में मई में आपराधिक अवमानना याचिका कायम की गई है।

कोर्ट ने इससे पहले हुई सुनवाई में प्रदेश के सभी जिला जजों से रिपोर्ट मांगी थी और बार कौंसिल को हड़ताल रोकने के कदम उठाने का आदेश दिया था। बार एसोसिएशन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा ने इसका निदान बार कौंसिल द्वारा किए जाने की दलील दी थी। इस पर खंडपीठ ने देश व प्रदेश की बार कौंसिल के अध्यक्ष से हड़ताल रोकने के उपाय प्रयागराज में 218 कार्यदिवसों में से 127 में हड़ताल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि वकीलों की हड़ताल के कारण प्रदेश की अधिकांश जिला अदालतों का न्यायिक कामकाज काफी प्रभावित हुआ है। साथ ही यह भी पूछा था कि हड़ताल रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को किस तरह लागू किया जाएगा?

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जानकारी हो कि सुप्रीम कोर्ट ने हरीश उप्पल व अन्य केसों में वकीलों की हड़ताल को अवैध करार दिया है। कहा है कि अधिवक्ताओं को हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं है।

हाई कोर्ट ने 31 मई को जिला बार एसोसिएशन प्रयागराज के अध्यक्ष व सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था कि क्यों न उन पर हड़ताल के प्रस्ताव से अदालतों को पंगु कर न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने व कोर्ट की अथारिटी कम करने के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही हो।

पहली जुलाई 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच अदालतों में कितने कार्यदिवस में कितने दिन काम हुए और कितने दिन वकीलों की हड़ताल रही, इसकी जानकारी जिला जजों से मांगने का निर्देश महानिबंधक को दिया गया था। जिला जज प्रयागराज की रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां उक्त अवधि में 218 कार्यदिवसों में 127 में हड़ताल रही। यानी 41.74 प्रतिशत कार्यदिवसों पर रिपोर्ट मांगी थी।

हाई कोर्ट की तरफ से अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा पक्ष रखा। महानिबंधक की तरफ से सभी जिला जजों की रिपोर्ट अदालत में पेश की गई थी। इसकी प्रतियां बार कौंसिल को उपलब्ध करा कर कार्रवाई की जानकारी मांगी गई थी।

अब कोर्ट ने उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने महानिबंधक मै काम हुआ और 58.26 प्रतिशत दिन वकीलों की हड़ताल रही। इस रिपोर्ट पर 29 मई 24 के आदेश से मुख्य न्यायाधीश ने हरीश उप्पल केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रकाश में इसे आपराधिक अवमानना माना और केस दर्ज कर कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिला जजों से भी वकीलों की हड़ताल पर रिपोर्ट मागी थी।

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मामले में अगली सुनवाई सात अगस्त को है जिसमे हाई कोर्ट ने कहा की उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी हलफनामे में दें।

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