दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर फर्जी प्राथमिकी दर्ज करवा दी थी। इसके बाद दवाब बनाकर समझौता करके महिला ने उसी युवक से शादी कर ली थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए महिला पर लगाया जुरमाना।
जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों को झूठे मामलों से निपटने में वास्तविक मामलों को परिणाम भुगतना पड़ता है–
“जांच एजेंसी और न्याय वितरण प्रणाली को व्यक्तिगत स्तर पर तय करने का साधन नहीं बनाया जा सकता है। खासकर जब हमारे देश में कानूनी प्रणाली पहले से ही केसों के अधिक बोझ से जूझ रही है। इस तरह का दुरुपयोग स्थिति को और अधिक भ्रमित करने वाला है, जो कीमती समय बर्बाद कर रहा है। जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों को झूठे मामलों से निपटने में वास्तविक मामलों को परिणाम भुगतना पड़ता है। इसलिए कथित पीड़िता पर 10 हजार का जुर्माना लगाया जाता है।”
इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कही। हाईकोर्ट ने शादी से पहले पति के खिलाफ रेप के ‘झूठे’ आरोपों पर FIR दर्ज कराने वाली महिला पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। महिला ने बाद में आरोपी से शादी कर ली। हाईकोर्ट ने आरोपी पति के खिलाफ दर्ज FIR को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने पाया कि FIR दर्ज करना याचिकाकर्ताओं पर शादी कराने के लिए दबाव बनाने का तरीका था।
न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने सलमान उर्फ मोहम्मद सलमान की याचिका पर अपना फैसला दिया। कोर्ट ने आरोपी (पति) की याचिका पर विचार करते हुए FIR रद्द करने का आदेश दिया। FIR में आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता-आरोपी ने शादी के वादा कर शिकायतकर्ता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए। फिर शादी करने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली और मामले में समझौता कर लिया। इसके बाद महिला (अब आरोपी की पत्नी) ने जांच अधिकारी के समक्ष आवेदन दायर किया। इसमें कहा गया कि कुछ लोगों ने पहले उसके और सलमान (आरोपी) के बीच दरार पैदा कर दी थी। इसलिए उसके द्वारा दर्ज FIR रद्द कर दी जाए।
रिकॉर्ड देखने पर कोर्ट ने कहा कि अपने आवेदन में महिला ने स्पष्ट रूप से कहा कि सलमान और उसके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं थे। वह केवल सलमान से प्यार करती थी। कोर्ट ने इसे देखते हुए नोट किया कि शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकार किया गया कि रेप का आरोप पूरी तरह से झूठा था।
कोर्ट ने टिप्पणी की-
‘ऐसा प्रतीत होता है कि FIR झूठे आरोपों पर केवल याचिकाकर्ताओं पर दबाव बनाने के लिए दर्ज की गई थी। ताकि उसकी शादी को अंजाम दिया जा सके। इस तरह का दृष्टिकोण और स्पष्ट रूप से झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट कानून की प्रक्रिया के लिए सरासर दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है।’
कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए व्यक्तिगत लाभ के लिए झूठी और आधारहीन प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए महिला पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।