इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 2012 में अत्यधिक शराब सेवन व अनुशासनहीनता के कारण बर्खास्त किए गए ट्रेनी जजों को बहाल करने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ के एक रिसॉर्ट में शराब के नशे में हंगामा करने के आरोप में 2012 में सेवा से बर्खास्त किए गए ट्रेनी जजों के खिलाफ सभी आदेशों को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही, इन ट्रेनी जजों को प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में बहाल करने का निर्देश भी दिया गया है।
पूर्ण पीठ का ऐतिहासिक फैसला
न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह, मनीष माथुर और सुभाष विद्यार्थी की पूर्ण पीठ ने ट्रेनी जज सुधीर मिश्रा और सात अन्य ट्रेनी न्यायाधीशों की याचिका को स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया।
सोमवार को दिए गए इस आदेश में कोर्ट ने कहा कि ट्रेनी जजों को हटाने के लिए लगाए गए आरोप उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले थे। इसके बावजूद, उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2012 बैच के ट्रेनी जजों से जुड़ा है, जो 9 जून से 8 सितंबर, 2012 तक चलने वाले अपने इंडक्शन प्रोग्राम के लिए ज्यूडिशियल ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (JTRI) आए थे।
- 7 सितंबर, 2012 को 16 ट्रेनी जज लखनऊ के चारण्स क्लब और रिसॉर्ट में पहुंचे।
- आरोप लगाया गया कि उन्होंने शराब का अत्यधिक सेवन किया और अनुशासनहीनता की।
- इस घटना के बाद, इन ट्रेनी जजों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि:
- उन पर लगाए गए आरोप उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले थे।
- उन्हें निष्कासन से पहले अपनी सफाई देने का मौका नहीं दिया गया।
- उनकी बर्खास्तगी के सभी आदेश अवैध थे।
कोर्ट का निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए सभी आदेशों को रद्द कर दिया और ट्रेनी जजों को उनकी सेवाओं में बहाल करने का निर्देश दिया।
यह फैसला न्यायिक सेवा में निष्पक्ष सुनवाई और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
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