उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को महत्वपूर्ण उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 पास हो गया। साल 2021 से लागू हुए इस कानून के संशोधन में शिकायज दर्ज कराने के अधिकार को व्यापक किया गया है। पहले इस कानून में केवल पीड़ित या पीड़ित के परिजन ही शिकायत दर्ज करा सकते थे, अब कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत दर्ज करा सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में सभी सदस्यों से उप्र विधि विरुद्ध धर्म विधेयक को पास कराने का अनुरोध किया था। विधेयक के पक्ष में सदस्यों की संख्या अधिक होने पर अध्यक्ष ने इसके पारित कर दिये जाने की घोषणा की। इसके पहले कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा और सपा के कई सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव दिया, लेकिन प्रवर समिति को सौंपने के विरोध में सदस्यों की संख्या अधिक होने की वजह से यह प्रस्ताव पास न हो सका।
इस संशोधित अधिनियम में छल-कपट या जबरन कराये गये धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए, अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर उसका धर्मांतरण करने, उससे अवैध तरीके से विवाह करने और उसका उत्पीड़न करने के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें अधिकतम 10 साल की कैद का प्रावधान था।
गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम में जमानत की दोहरी शर्ते लागू की गई हैं जो PMLA कानून के तहत हैं, वहीं, सजा के प्रावधान को व्यापक बनाते हुए इसमें आजीवन कारावास की सजा को शामिल किया गया है।
नए कानून में जीरो एफआईआर का प्रावधान-
कानून को नए अपराधिक कानून में जीरो एफआईआर के प्रावधानों के समान किया गया है। BNSS की धारा 173(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र की परवाह किए बिना, किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है। वहीं धर्मातरण संशोधन कानून में, विशेष तौर पर एससी, एसटी, मानसिक व शारीरिक रूप से असक्षम महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं। गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की धारा 3 में “बल, प्रभाव, दबाव, किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से” धर्म परिवर्तन, “विवाह या विवाह की प्रकृति में संबंध द्वारा धर्म परिवर्तन” या उपरोक्त अवैध तरीकों से धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित किया है। कानून इस तरीके से कराए गए धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की बात कहती हैं।
ऐसे अपराध पर 20 वर्ष या आजीवन कारावास का प्रावधान-
विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, उसपर हमला करता है, उससे विवाह करता है या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है, तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
पहले यह थी सजा-
जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना, तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। विधेयक में कहा गया है कि न्यायालय धर्म संपरिवर्तन के पीड़ित को अभियुक्त द्वारा संदेय समुचित प्रतिकर भी स्वीकृत करेगा, जो अधिकतम पांच लाख रुपये तक हो सकता है और यह जुर्माना के अतिरिक्त होगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर सात से 14 वर्ष की जेल-
नाबालिग, महिला (एससी-एसटी) संग अपराध पर अब पांच से 14 साल की जेल व एक लाख रुपये जुर्माना तथा अवैध ढंग से सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर सात से 14 वर्ष की जेल, तथा एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं को पारदर्शी और शुचितापूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है।