दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘‘मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति’’ को लेकर सरकार को लगाई फटकार, अभ्यर्थियों की मौत के लिए जवाबदेही मांगी

दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘‘मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति’’ को लेकर सरकार को लगाई फटकार, अभ्यर्थियों की मौत के लिए जवाबदेही मांगी

दिल्ली हाई कोर्ट ने अभ्यर्थियों की मौत के मामले में अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि जब ‘‘मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति’’ के कारण कर संग्रह नहीं होता है, तब ऐसी त्रासदियां होना स्वाभाविक है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में पानी भरने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले में प्राधिकारियों को बुधवार को फटकार लगाई और कहा कि जब ‘‘मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति’’ के कारण कर संग्रह नहीं होता है, तब ऐसी त्रासदियां होना स्वाभाविक है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि ‘मुफ्तखोरी संस्कृति’ के कारण सरकार का राजस्व संग्रह अपर्याप्त हो रहा है, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी में बुनियादी ढांचे के उन्नयन के प्रयासों में बाधा आ रही है।

अदालत ने कहा, “नागरिक प्राधिकरण दिवालिया हो चुके हैं। यदि आपके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप बुनियादी ढांचे को कैसे उन्नत करेंगे? आप मुफ्तखोरी की संस्कृति चाहते हैं। आप पैसा इकट्ठा नहीं कर रहे हैं, इसलिए आप कोई पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं।”

न्यायालय एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था जिसमें तीनों मौतों की “उच्च स्तरीय” जांच की मांग की गई थी। न्यायालय ने यह भी पाया कि वर्तमान जांच अपर्याप्त है और अभी तक दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के किसी भी अधिकारी को कोई जवाबदेही नहीं सौंपी गई है।

पीठ ने टिप्पणी की, “जांच अधिकारी कौन है? एक अजीब तरह की जांच चल रही है। पुलिस की मिलीभगत से अनधिकृत निर्माण हो रहा है।”

ALSO READ -  एनडीपीएस एक्‍ट की धारा 67 के तहत दर्ज इकबालिया बयान स्वीकारने योग्य नहीं है - सुप्रीम कोर्ट

इसके बाद न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को जनहित याचिका में प्रतिवादी के रूप में शामिल किया और अब तक की गई जांच पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी। न्यायालय ने जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया और संकेत दिया कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो एक केंद्रीय एजेंसी को शामिल करने की आवश्यकता होगी।

मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 2 अगस्त को निर्धारित की गई है। अदालत ने जांच अधिकारी, संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और एमसीडी आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का भी निर्देश दिया है।

कुटुंब नामक संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका में दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को मामले में पक्षकार बनाया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह घटना नगर निगम अधिकारियों के भ्रष्टाचार और विफलताओं का परिणाम है।

राजेंद्र नगर की एक इमारत में यह घटना हुई, जिसमें सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए एक प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान, राऊ के आईएएस स्टडी सर्किल की शाखा है। भारी बारिश के कारण संस्थान के बेसमेंट में स्थित पुस्तकालय में पानी भर गया था।

उच्च न्यायालय 27 जुलाई की शाम को ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक कोचिंग सेंटर की इमारत के ‘बेसमेंट’ में बारिश का पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

मृतक अभ्यर्थियों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) शामिल थे।अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह, यश गिरी और अनुज शुक्ला ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया।

Translate »
Scroll to Top