सावधान कहीं आप ‘सेक्सटॉर्शन’ के शिकार तो नहीं, ये क्या है? और कैसे होता है? किन धाराओं के तहत और कैसे होगी दर्ज शिकायत, जाने विस्तार से

सावधान कहीं आप ‘सेक्सटॉर्शन’ के शिकार तो नहीं, ये क्या है? और कैसे होता है? किन धाराओं के तहत और कैसे होगी दर्ज शिकायत, जाने विस्तार से

जिस प्रकार से देश और दुनिया में इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने काफी लोकप्रियता हासिल की है. समाज के लिए इसके फायदे तो बेशुमार हैं, पर इसके नुकसान भी हैं. जहां व्हाट्सएप, फेसबुक, ऑनलाइन चैटिंग साइट्स, फेस बुक मैसेंजर, अन्य सोशल मीडिया साइट्स और इंस्टाग्राम, हमें लोगों से अधिक जुड़ाव महसूस कराते हैं, वहीं इन प्लेटफार्म का इस्तेमाल असामाजिक तत्वों द्वारा यूजर को ब्लैकमेल करने के लिए भी किया जा रहा है. कई बार इन साइट्स के जरिए लोगों को ब्लैकमेल किए जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं.

सेक्सटॉर्शन (Sextortion)

भारत में पिछले दशक के दौरान ऑनलाइन सिक्योरिटी में अपडेट के साथ-साथ ऑनलाइन क्रिमिनल्स भी क्राइम में अपडेट हो रहे हैं. आप अगर इंटरनेट सर्फिंग के दौरान सावधानी नहीं रखते हैं तो इस डीजीटल दौर के अपराध का शिकार बन सकते हैं, जिसे सेक्सटॉर्शन कहते हैं. यह साइबर ठगों का बुना जाल होता है, जिसमें फंसकर लोग खुद के लिए मुशकिलें पैदा कर लेते हैं.

सेक्सटॉर्शन (Sextortion) एक डिजिटल ट्रैप (Digital trap) है. सेक्सटॉर्शन का मतलब है, ‘यौन कार्य करने के लिए, किसी को डरा धमका कर मजबूर करना.’ सेक्सटॉर्शन में आमतौर पर एक ब्लैकमेलर शामिल होता है जिसके पास पीड़ित की निजी फिल्मों या तस्वीरें होती है.

ब्लैकमेलर पीड़ितों को पैसे, यौन संबंधों, या अतिरिक्त समझौता सामग्री के लिए ब्लैकमेल करता है, साथ ही यदि वे ब्लैकमेलर की बात नहीं मानते हैं तो ब्लैकमेलर उन्हें मौजूद सामग्री को इंटरनेट पर प्रकाशित करने की धमकी देता है. उन ग्राफिक फ़ोटो/वीडियो के ऑनलाइन एक्सपोज़ होने के डर से, पीड़ितों पर अक्सर रिश्तों या किसी दबाव में बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है.

सेक्सटॉर्शन के शिकार होने के सबसे आम कारणों में से एक है लोगों को फोन ऐप्स और तकनीकि क्षमताओं के बारे में जागरूकता की कमी होना. इसमें साइबर ठग फेक आईडी बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है और फ्रेंडली माहौल बनाने के बाद अश्लील बातें करता है. कुछ दिन बाद यह बातें वीडियो कॉल में शुरू हो जाती हैं जिसे रिकॉर्ड कर, इन्ही विडियो के जरिए ब्लैकमेलिंग की जाती है.

सेक्सटॉर्शन यानी क्या?

  • सेक्सटॉर्शन असल में दो शब्दों से मिलकर बना है. ‘सेक्स’ और ‘एक्सटॉर्शन’. ये एक तरह का साइबर अपराध है, जिसका शिकार कोई भी बन सकता है.
  • सेक्सटॉर्शन एक तरह का ब्लैकमेल है, जिसमें साइबर अपराधी इंटरनेट के जरिए लोगों को कॉल कर अश्लील बातें करते हैं और उन्हें अपने झांसे में फंसा लेते हैं.
  • इसके बाद अपराधी लोगों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो बना लेते हैं और फिर उन्हें उनके परिवार को भेजने या सार्वजनिक करने की धमकी देकर पैसे ऐंठते हैं.
  • शुरुआत में जब कोई व्यक्ति सेक्सटॉर्शन का शिकार होता है तो वो बदनामी के डर से अपराधियों को पैसे दे देता है. लेकिन कई बार अपराधियों की मांग बढ़ती जाती है और व्यक्ति लूटता जाता है.
  • लिहाजा, ऐसे फंस जाने पर घबराने की बजाय इसका सामना करना चाहिए. ऑनलाइन भी शिकायत कर सकते हैं. पुलिस थाने में जाकर भी इसकी शिकायत की जा सकती है.
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सेक्सटॉर्शन SEXTORTION के संबंध में वर्तमान कानून

IPC की धारा 292 के अनुसार यदि कोई अश्लील सामग्री की बिक्री करता है तो वो अपराधी है. यह धारा वर्तमान डिजिटल युग में विभिन्न साइबर अपराधों से भी संबंधित है. अश्लील सामग्री का प्रकाशन और प्रसारण या यौन रूप से स्पष्ट कार्य या बच्चों से युक्त शोषण, आदि जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में हैं, वे भी इस अनुभाग द्वारा शासित होते हैं.

इस अपराध के लिए 2 साल के कारावास और 2000 रुपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जायेगा और यदि इन अपराधों में से कोई भी अपराध दूसरी बार किया जाता है, तो 5 साल तक की कैद और 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

IPC की धारा 384 के अनुसार, किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना एक संज्ञेय अपराध है. यदि कोई ऐसा करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड से या दोनों से दण्डित किया जाएगा.

IPC की धारा 419 के अनुसार, जो भी कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा वह अपराधी होगा. इस अपराध के लिए उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा.

IPC की धारा 420 में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ धोखा करता है, छल करता है, बेईमानी से किसी की बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति में परिवर्तन करता है, उसे नष्ट करता है या ऐसा करने में किसी की मदद भी करता है तो वह अपराधी है. इस अपराध के लिए अनिवार्य जुर्माने के साथ सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

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IPC की धारा 354 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी स्त्री की लज्जा भंग करने या उस पर गलत लांछन लगाने का प्रयास करता है या फिर उसी स्त्री पर किसी तरह का हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है तो वह व्यक्ति अपराध की श्रेणी में माना जाता है और उस व्यक्ति को 1 साल से 5 साल तक की सजा या फिर जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

IPC की धारा 354C के अनुसार यदि कोई पुरुष किसी स्त्री को प्राइवेट परिस्थितियों मे देखता है या फोटो खीचता है अथवा अन्य व्यक्ति को दिखाता है, या ऐसी फोटो को वायरल करता है, तो उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, साथ ही जुर्माने से, या दोनों.

CrPC की धारा 108(1)(i)(a) के तहत पीड़िता अपने इलाके के मजिस्ट्रेट को फोन करके उस व्यक्ति के बारे में सूचित कर सकती है जिसके बारे में उसे लगता है कि वह किसी भी अश्लील मामले को प्रसारित कर सकता है. मजिस्ट्रेट के पास ऐसे व्यक्ति(यों) को हिरासत में लेने की और उसे सामग्री प्रसारित करने से रोकने के लिए बांड पर हस्ताक्षर करने का आदेश देने की शक्ति होती है.

POCSO ACT (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम), 2012 का उद्देश्य बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करना है.

IT Act (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम), 2000 के तहत-

  • अगर कोई आपको आपकी निजी तस्वीरें वायरल करने या पब्लिक करने की धमकी देता है तो इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की धारा 66E, 67 और 67A के तहत केस दर्ज करवा सकते हैं.
  • धारा 66E कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी की निजी तस्वीरें बिना उसकी इजाजत के सार्वजनिक करता है तो दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल या दो लाख रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
  • वहीं, धारा 67 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में कोई अश्लील सामग्री पब्लिश करता है तो पहली बार ऐसा करने पर तीन साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माने की सजा होगी. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की जेल और 10 लाख तक का जुर्माने की सजा होगी.
  • जबकि, धारा 67A कहती है कि अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म के जरिए कोई सेक्सुअली कंटेंट पोस्ट करता है तो पहली बार दोषी पाए जाने पर 5 साल की जेल और 10 लाख का जुर्माना और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 7 साल की जेल और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है.
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सेक्सटॉर्शन के बढ़ते अपराध को निपटाने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं माने जाते हैं. आपराधिक कानूनों में सेक्सटॉर्शन को कहीं भी विशेष रुप से परिभाषित नहीं किया गया है.

IPC और POCSO अधिनियम के तहत कानून केवल महिलाओं और बच्चों को राहत प्रदान करते हैं, यौन शोषण के शिकार पुरुषों को नहीं. कई युवा पुरुष और वयस्क भी सेक्सटॉर्शन का शिकार हो जाते हैं परन्तु सामाजिक कलंक की आशंका के कारण लोग मामले दर्ज करने से बचते हैं.

ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत

  • साइबर क्राइम की शिकायतों को दर्ज करने के मकसद से गृह मंत्रालय ने एक वेबसाइट लॉन्च की थी. ये वेबसाइट cybercrime.gov.in है.
  • वेबसाइट पर जाने के बाद आपको ‘File a complaint’ वाले टैब पर क्लिक करना होगा. इसके बाद नया पेज ओपन होगा. इसमें टर्म्स एंड कंडीशन होंगी, जिसे एक्सेप्ट कर आगे बढ़ जाएं.
  • अगर आपकी शिकायत महिला या बच्चों से जुड़े अपराध की है तो ‘Report Cyber Crime Related to Women/Child’ वाले टैब पर क्लिक करें. अगर दूसरे अपराध से जुड़ी है तो ‘REPORT CYBER CRIME’ वाले टैब पर क्लिक करें.
  • इसके बाद Login करने का ऑप्शन आएगा. अगर पहली बार शिकायत कर रहे हैं तो New User पर क्लिक कर अकाउंट बनाएं और फिर शिकायत करें. शिकायत करने के लिए आपको सबूत भी देने होंगे.

कृपया नोट करें और ध्यान रखेंः अपराधियों के झांसे में आने से बचें. किसी भी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट और लिंक्स को एक्सेप्ट करने से पहले सोचें. अपनी निजी जानकारी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सीमित और सुरक्षित रखना चाहिए.

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