Calcutta High Court के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि वह 5 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, लोकसभा का चुनाव लड़ने की संभावना

Calcutta High Court के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि वह 5 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, लोकसभा का चुनाव लड़ने की संभावना

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) ने कहा है कि वह मंगलवार को इस्तीफा दे देंगे। न्‍यायमूर्ति गंगोपाध्‍याय के राज्य में शिक्षा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर फैसलों ने राजनीतिक बहस छेड़ दी है। हालांकि उन्‍होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या उनका राजनीति में प्रवेश करने का इरादा है। उन्होंने कहा कि वह अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया के सभी सवालों के जवाब देंगे।

कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि वह 5 मार्च 2024 मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। रविवार को उनका यह बयान तब आया जब अटकलें लगाई जा रही है कि वह BJP के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। BJP की तरफ से उन्हें तमलुक सीट से टिकट मिलने की संभावना है।

न्‍यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) ने कहा कि वह अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ D. Y. चंद्रचूड़ को भेजेंगे।

न्‍यायमूर्ति गंगोपाध्‍याय ने आगे कहा, “इन दिनों मैं कोई न्याय कार्य नहीं करूंगा, मैं बस अपने पास लिस्टेड मामलों को निपटा दूंगा।” उन्होंने कहा कि इस्तीफे की वजह और आगे के कामों के बारे में मंगलवार को बात करेंगे। जस्टिस गंगोपाध्याय ने उन अटकलों को खारिज किया है, जिसमें कहा जा रहा था कि वह इस्तीफा देने के बाद राजनीति में एंट्री करेंगे।

केस के बारे में जज ने की थी मीडिया से बात-

इस साल की शुरुआत में, एक अभूतपूर्व मामले में न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपने सहयोगी न्यायमूर्ति सोमेन सेन पर एक राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया था। सेन ने उस खंडपीठ की अध्यक्षता की थी, जिसने मेडिकल प्रवेश अनियमितताओं की सीबीआई जांच के एकल-न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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न्‍यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) ने 2022 के अपने एक फैसले में CBI को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया था। इसी मामले को लेकर उन्होंने एक मीडिया चैनल को इंटरव्यू दिया था, जिससे सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया था। इसके बाद से इस केस को चीफ जस्टिस डॉ चंद्रचूड़ ने किसी अन्य जज को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।

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