वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का आश्वासन

अनुच्छेद 32 के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, याचिकाकर्ता अधिवक्ता पर ₹5 लाख का जुर्माना

 

⚖️ वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का आश्वासन

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने Waqf (Amendment) Act, 2025 को लेकर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कई महत्वपूर्ण आश्वासन दर्ज किए। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार, और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की।


🔒 केंद्र के मुख्य आश्वासन — अस्थायी रूप से लागू नहीं होंगे ये प्रावधान:

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अगली सुनवाई तक निम्नलिखित प्रावधान लागू नहीं किए जाएंगे:

  1. वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति
  2. वक्फ संपत्तियों का de-notification (विशेष रूप से ‘वक्फ बाय यूज़र’)
  3. किसी भी प्रकार की नई नियुक्तियाँ वक्फ निकायों में नहीं होंगी

कोर्ट ने इन बिंदुओं को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अगली सुनवाई केवल “दिशा-निर्देशों और अंतरिम आदेशों” तक सीमित होगी।


📅 आगे की प्रक्रिया:

  • केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 1 सप्ताह का समय मिला है।
  • याचिकाकर्ता 5 दिनों में पुनः जवाब (rejoinder) दाखिल कर सकेंगे।
  • अगली सुनवाई मई के पहले सप्ताह में होगी।

🧾 सीजेआई की टिप्पणी: स्थिति न बदले, अधिकार प्रभावित न हों

“हमने कानून की कुछ सकारात्मक बातें भी देखीं, लेकिन हम नहीं चाहते कि स्थिति इतनी बदल जाए कि लोगों के अधिकारों पर असर पड़े।”

  • सीजेआई खन्ना ने कहा कि अदालत किसी भी पक्ष के अधिकारों को प्रभावित किए बिना सुनवाई करेगी।
  • “कोई ऐतिहासिक वक्फ संपत्ति अचानक de-notify नहीं की जा सकती,” उन्होंने कहा।

🛑 कोर्ट की नाराज़गी: इतिहास को नहीं लिखा जा सकता दोबारा

“सरकार इतिहास को नए संशोधन के ज़रिए दोबारा नहीं लिख सकती,” — CJI खन्ना

  • कोर्ट ने सवाल उठाया कि सदियों पुरानी घोषित वक्फ संपत्तियाँ अचानक कैसे ‘वक्फ नहीं’ घोषित की जा सकती हैं?
  • विशेष चिंता Waqf-by-user संपत्तियों को लेकर जताई गई, जो पंजीकृत नहीं हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप से वक्फ मानी जाती हैं।
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🏛️ याचिकाएं और पक्षकार: दोनों ओर से सक्रियता

  • AIMIM, AIMPLB, सांसदों, वकीलों और मुस्लिम संगठनों ने संविधानिक वैधता को चुनौती दी है।
  • कई याचिकाएं दायर हुईं जिनमें कहा गया कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है।

🔁 दूसरी ओर:

  • राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और असम की BJP सरकारों ने इम्प्लीडमेंट याचिकाएं दायर की हैं, अधिनियम का समर्थन करते हुए।
  • जनजातीय और हिंदू अधिकार संगठनों ने भी समर्थन जताया।

🧾 अन्य आदेश और टिप्पणियाँ:

  • यदि कोई राज्य इस दौरान नियुक्ति करता है, तो वह शून्य (void) मानी जाएगी।
  • कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों द्वारा 1995 और 2013 के अधिनियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अलग किया और मामले का नाम बदलकर “In Re: Waqf Amendment Act” रखा।

🔍 निष्कर्ष:

यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अत्यंत संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए स्थिति को यथावत रखना चाहती है ताकि संविधानिक सवालों का समाधान बिना पक्षपात और जल्दबाज़ी के हो सके।
मई की सुनवाई अब दिशा और अंतरिम आदेशों पर केंद्रित होगी, और उसके बाद मुख्य सुनवाई की राह खुलेगी।

 

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