बार काउंसिल के कुछ वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिखकर किया पदोन्नति का विरोध-
सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के लिए पांच नामों पर केंद्र सरकार अपनी मंजूरी दे सकती है। जिन नामों को मंजूरी दी जा सकती है, उनमें तीन, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और दो, हाईकोर्ट जजों का नाम शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम Supreme Court Collegium ने बीते साल 13 दिसंबर को इन जजों के नाम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजे थे। जिनके नामों को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के लिए मंजूरी मिल सकती है, उनमें राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल है।
न्यायिक नियुक्ति Judicial Appointments से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है। बता दें कि इन पांच जजों के सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद सर्वोच्च अदालत में जजों की कुल संख्या बढ़कर 32 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 34 जज हो सकते हैं।
जानकारी हो की वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट जजों की संख्या 27 है। बीती 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दो और नाम सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजे थे। जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार का नाम शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार से अपील की थी कि वह दिसंबर में भेजी गई सिफारिशों को इन ताजा सिफारिशों के साथ ना मिलाएं। पहले भेजी गई सिफारिशों को ऊपर रखें और पहले उनकी ही अधिसूचना जारी करें।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त भी किया है कि कॉलेजियम द्वारा भेजे गए पांच जजों के नामों को जल्द मंजूरी दे दी जाएगी। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी ने जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच को बताया कि इन जजों की नियुक्ति का वारंट ऑफ अपॉइंटमेंट जल्द जारी हो जाएगा। गौरतलब है कि बेंच ने नामों की मंजूरी में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की और पीठ ने कहा कि ‘यह बहुत, बहुत गंभीर मामला है। हमें कदम उठाने के लिए मजबूर ना करें क्योंकि उससे बहुत परेशानी होगी।’
कॉलेजियम Collegium की एक अन्य सिफारिश पर विवाद हो गया है। दरअसल कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट की वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट Madras High Court में जज के रूप में नामित किया है।
हालांकि बार काउंसिल में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया है।
बार काउंसिल के कुछ वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिखकर गौरी की पदोन्नति का विरोध किया है। बार काउंसिल का कहना है कि गौरी भाजपा से जुड़ी हुई हैं। पत्र में लिखा गया है कि इस तरह के नियुक्ति से न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर हो सकती है।