वाराणसी से वाडिप्पट्टि तक ‘गायें पवित्र’ हैं, कोई उनका मजाक उड़ाने की हिम्मत नहीं कर सकता – हाईकोर्ट

वाराणसी से वाडिप्पट्टि तक ‘गायें पवित्र’ हैं, कोई उनका मजाक उड़ाने की हिम्मत नहीं कर सकता – हाईकोर्ट

उच्च न्यायलय ने कहा कि देशभर में राष्ट्रीय सुरक्षा ‘परम पवित्र गाय’ है. अदालत ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज पुलिस की प्राथमिकी(FIR) रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा, ‘प्राथमिकी(FIR) दर्ज करना ही बेतुका और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसे रद्द किया जाता है.’

अदालत ने पश्चिम बंगाल में टैगोर, तमिल देश में पेरियार, आज के केरल में, मार्क्स और लेनिन तथा महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी और वीर सावरकर को जैसे सम्मानित पुरुषों का उदाहरण देते हुए मजाकिया होने की ‘सीमा रेखा’ का भी जिक्र किया, क्योंकि उन्हे अलग अलग क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त है.

मद्रास उच्च न्यायालय ने भाकपा (माले) [CPI (ML)] के एक पदाधिकारी के खिलाफ ‘आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट’ को लेकर दर्ज एफआईआर खारिज कर दी है. राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता को ‘मजाकिया’ पोस्ट को ‘राज्य के खिलाफ युद्ध’ माना था.

न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने 62 वर्षीय आरोपित के खिलाफ ‘राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी करने’ के लिए दर्ज मामले को ‘बेतुका और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग’ बताया. दरअसल भाकपा (माले) के एक पदाधिकारी मथिवनन (62) ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में मजाक में लिखा था कि वह ‘शूटिंग अभ्यास के लिए सिरुमलाई की यात्रा’ कर रहे हैं.

Madras High Court मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि भारत में उत्तर प्रदेश के वाराणसी Varanasi से लेकर तमिलनाडु Tamilnadu के वाडिप्पट्टि तक ‘पवित्र गायें’ चरती हैं और कोई उनका मजाक उड़ाने की हिम्मत नहीं कर सकता.

उच्च न्यायलय ने तंज कसते हुए कहा कि संविधान में ‘हंसने के कर्तव्य’ के लिए शायद एक संशोधन करना होगा.

हाई कोर्ट की टिप्पणी

High Court हाई कोर्ट ने कहा कि देशभर में राष्ट्रीय सुरक्षा ‘परम पवित्र गाय’ है. अदालत ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज पुलिस की प्राथमिकी(FIR) रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. इस व्यक्ति ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कई तस्वीरों के साथ कैप्शन में हल्के फुल्के अंदाज में लिखा था, ‘निशानेबाजी के लिए सिरुमलई की यात्रा’.

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न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने जाने माने व्यंग्यकारों, कार्टूनिस्टों और पत्रकारों से कहा कि अगर उन्होंने फैसला लिखा होगा तो ‘वे भारत के संविधान के Article 51-A of Indian constitution में एक उपखंड जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण शोधन (amendment) का प्रस्ताव देते’.

अदालत का आदेश

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मजाक करना एक बात है और दूसरे का मजाक उड़ाना बिल्कुल अलग बात है. उन्होंने कहा, ‘किस पर हंसे? यह एक गंभीर सवाल है. क्योंकि वाराणसी से वाडिप्पट्टि तक पवित्र गायें चरती हैं. कोई उनका मजाक उड़ाने की हिम्मत नहीं कर सकता.’ Communist Party of India (Marxist-Leninist) के एक पदाधिकारी याचिकाकर्ता (petitioner) मथिवानन ने मदुरै में वाडिप्पट्टि पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था.

Facebook Post को लेकर दर्ज हुई थी FIR

पुलिस ने याचिकाकर्ता (petitioner) के फेसबुक पोस्ट को लेकर यह First Information Report दर्ज की थी जिसमें उन्होंने सिरुमलई की तस्वीरों के साथ तमिल में एक कैप्शन लिखा था जिसका मतलब था, ‘निशानेबाजी के लिए सिरुमलई की यात्रा’. इस पर न्यायमूर्ति ने कहा, ‘क्रांतिकारियों को चाहे वे वास्तविक हो या फर्जी, उन्हें आम तौर पर हास्य की किसी भी समझ का श्रेय नहीं दिया जाता है (या कम से कम यह एक तर्कहीनता है). कुछ अलग करने के लिए याचिकाकर्ता (petitioner) ने थोड़ा मजाकिया होने की कोशिश की. शायद यह हास्य विधा में उनकी पहली कोशिश थी.’ 

प्राथमिकी दर्ज करना बेतुका

वाडीपट्टी पुलिस को यह कैप्शन अच्छा नहीं लिखा और उसने उनके खिलाफ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश के लिए सजा), 122 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार आदि इकट्ठा करना) , 505 (1) ( b) (जनता में भय पैदा करने के इरादे से सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) और आईपीसी के 507 (एक गुमनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी) ले तहत मामला दर्ज किया.

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अदालत ने कहा कि लेकिन पुलिस Police को ‘इसमें कोई मजाक नहीं दिखा’ और उनपर भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया जिसमें भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा से हथियारों को एकत्रित करना और आपराधिक धमकी देना (IPC Sec 507) शामिल है. उनका कहना है उन्हें IPC की धारा 507 लगाने से ‘मुझे हंसी आ गयी.’ 

कब लगती है IPC की धारा 507?

उन्होंने कहा, ‘धारा 507 तभी लगायी जा सकती है कि जब धमकी देने वाले व्यक्ति ने अपनी पहचान छुपाई है. इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपने फेसबुक पेज Face Book Page पर कैप्शन Caption के साथ तस्वीरें पोस्ट Image Post की. उन्होंने अपनी पहचान नहीं छुपायी. इसमें कुछ भी गुप्त नहीं है.’

अदालत ने कहा कि किस पर हँसा जाना चाहिए, ये एक गम्भीर प्रश्न है क्योंकि मजाक करने और मजाक उड़ाने में फर्क है। अदालत ने कहा कि ‘मजाकिया होना’ और ‘दूसरे का मज़ाक उड़ाना’ दो अलग चीज हैं.

न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि भारत में क्षेत्रीय विविधता की पृष्ठभूमि में यह प्रश्न प्रासंगिक इसलिए हो जाता है क्योंकि हमारे पास वाराणसी से वाडीपट्टी तक पवित्र गायें चरती हैं. कोई उनका मजाक उड़ाने की हिम्मत नहीं करता. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पवित्र गाय होती है.

अदालत ने कहा, “हालाँकि पवित्र गायों की एक भी सूची नहीं है. गाय भले ही बहुत कम और दुर्बल हो, एक योगी के इलाके में वो पवित्र ही होगी, वहाँ उसका मजाक नहीं बनाया जा सकता। पूरे भारत में गाय परम पवित्र जीव है.”

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न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा, “मेरे अपने तमिल देश में आकर, हर समय आइकॉनोक्लास्ट (रूढ़ि विरोधी) ‘पेरियार’ ईवी रामासामी एक अति-पवित्र गाय हैं.”

अदालत ने पश्चिम बंगाल में टैगोर, तमिल देश में पेरियार, आज के केरल में, मार्क्स और लेनिन तथा महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी और वीर सावरकर को जैसे सम्मानित पुरुषों का उदाहरण देते हुए मजाकिया होने की ‘सीमा रेखा’ का भी जिक्र किया, क्योंकि उन्हे अलग अलग क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त है.

सीपीआई (एमएल) नेता के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करते हुए न्यायाधीश ने फैसला सुनाया और कहा, “लगाई गई प्राथमिकी का पंजीकरण ही बेतुका और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसे रद्द किया जाता है.”

उच्च न्यायलय ने आगे कहा, ‘प्राथमिकी दर्ज करना ही बेतुका और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसे रद्द किया जाता है.’ 

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