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COVID के कारण देरी: उच्च न्यायलय ने विज्ञापित आयु सीमा से अधिक आयु होने के बाद भी लॉ स्नातक को जज भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की दी अनुमति –

Bombay High Court बॉम्बे उच्च न्ययालय ने मुंबई के एक लॉ स्नातक Law Graduate को अंतरिम राहत देते हुए निर्धारित विज्ञापित आयु सीमा से अधिक आयु होने के बाद भी सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) Civil Judge (Junior Division)/Judicial Magistrate (First Class) के पद के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति प्रदान की।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (Maharashtra Public Service Commission) ने पिछले साल COVID-19 महामारी के कारण आवेदनों के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया। इसलिए उसे उम्र वर्जित कर दिया गया था।

12 जनवरी 2022 को दिए गए आदेश में, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने रिट याचिका को स्वीकार करने के साथ-साथ अंतरिम राहत के लिए एक मजबूत प्रथम दृष्टया आधार बनाया गया है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने कहा, “यदि याचिकाकर्ता अन्यथा पात्र है, तो आयोग उसके आवेदन पर कार्रवाई करेगा और उसे परीक्षा में अनंतिम रूप से बैठने की अनुमति देगा।”

कोर्ट ऋषभ मुरली द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो “नए लॉ स्नातक” की श्रेणी के तहत न्यायिक सेवाओं में आने का मौका चाहता था, हालांकि उसने अपना लॉ पाठ्यक्रम 2020 में पूरा किया था, पिछले साल नहीं।

याचिका में कहा गया है कि 23 दिसंबर, 2021 को उक्त पद पर भर्ती के लिए महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (Maharashtra Public Service Commission) द्वारा जारी विज्ञापन ने उन्हें “उम्मीदवार की आयु-वर्जित” के रूप में प्रस्तुत किया। याचिका में कहा गया है कि यह याचिकाकर्ता की ओर से किसी गलती के कारण नहीं है, बल्कि यह तथ्य है कि दिसंबर 2020 में COVID-19 महामारी के कारण ऐसा कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया था।

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महाराष्ट्र राज्य के साथ-साथ Maharashtra Public Service Commission की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिका की एक प्रति आयोग को नहीं दी गई और इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि याचिकाकर्ता को “निश्चित रूप से आयु-वर्जित” किया गया है। इसलिए उसे कोई अंतरिम सुरक्षा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। याचिकाकर्ता के वकीलों ने प्रस्तुत किया कि महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महामारी से उत्पन्न स्थिति को ध्यान में रखते हुए, अन्य सेवाओं में भर्ती के लिए आयु के संबंध में छूट दी थी। हालांकि, न्यायिक सेवाओं में प्रवेश के लिए समान लाभ नहीं बढ़ाया गया था। उन्होंने इसे “भेदभावपूर्ण” करार दिया।

वाद्कर्ता द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया, “आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 जनवरी, 2022 है, याचिकाकर्ता एक लॉ स्नातक Law Graduate के रूप में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर खो देगा जब तक कि उसे एक आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाती है और उसी पर आयोग द्वारा विचार करने का निर्देश दिया जाता है।

याचिकाकर्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि-

यह भी तर्क दिया गया कि यदि वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता को एक वकील के रूप में तीन साल की प्रैक्टिस करनी होगी और इसके बाद ही वह उक्त पद पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने के लिए आवेदन करने के लिए पात्र होगा।

पीठ ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि महामारी के कारण भर्ती प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई और याचिकाकर्ता का यह तर्क कि आयोग ने वर्ष 2020 में कोई विज्ञापन जारी नहीं किया था, वर्तमान में विवादित नहीं है।

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पीठ ने तब आयोग को निर्देश दिया कि अगर वह अन्यथा पात्र है तो याचिकाकर्ता को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।

पीठ ने यह भी कहा की-

“हमारा यह भी मानना है कि अंतरिम राहत देने से इनकार करने से याचिकाकर्ता के प्रति उस पूर्वाग्रह की तुलना में अधिक पूर्वाग्रह पैदा होगा, जो अंतरिम राहत दिए जाने पर प्रतिवादियों को होगा।

पीठ ने आगे कहा, “हालांकि, इस तरह की भागीदारी रिट याचिका में प्रतिवादियों के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगी और याचिकाकर्ता द्वारा उस समय कोई इक्विटी का दावा नहीं किया जाएगा जब रिट याचिका पर अंतिम निपटान के लिए विचार किया जाता है।”

अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका की एक प्रति तुरंत Maharashtra Public Service Commission को देने का भी निर्देश दिया। आयोग को 26 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का समय दिया और याचिकाकर्ता को एक सप्ताह का समय दिया कि वह प्रत्युत्तर दाखिल करे, यदि कोई हो। इसके साथ ही मामले को 4 फरवरी, 2022 के लिए स्थगित कर दिया।

केस टाइटल – ऋषभ मुरली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य

केस नंबर – रिट पेटिशन (ल ) 156 ऑफ़ 2022

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