दिल्ली सरकार मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम बनाये – दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम बनाने का निर्देश दिया है। इसके लिए एक समय सीमा भी निर्धारित की गई है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए मुस्लिम विवाहों के लिए एक ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम बनाने के लिए कहा है। इसके लिए एक समय सीमा तय की गई है और समय सीमा के अंदर ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम बनाने का निर्देश दिया गया है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने अपने आदेश में मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से निर्देश दिए हैं कि समय सीमा के अंदर मुस्लिम विवाहों की ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली बना दी जाए।

इस्लामी शरिया कानून के तहत हुआ निकाह-

दरअसल, एक जोड़े द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत का ये फैसला आया है। जोडे़ ने 11 अक्टूबर 2023 को इस्लामी शरिया कानून के तहत शादी की थी। दोनों को विदेश यात्रा के लिए जाना था। ऐसे में कुछ देशों में वीजा के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। इसके लिए दोनों ने वीजा जारी कराने के लिए अपने विवाह के रजिस्ट्रेशन की मांग की थी।

दंपत्ति की ओर से पेश हुए एडवोकेट एम सूफियान सिद्दीकी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा अनिवार्य “बहिष्कृत विवाह रजिस्ट्रेशन सिस्टम” के अधीन किया गया, जिसमें केवल दो विकल्प दिए गए- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत रजिस्ट्रेशन, या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 इसके ऑनलाइन पोर्टल पर।

उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली (विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन) आदेश, 2014 के तहत ऑफ़लाइन विकल्प या उपयुक्त ऑनलाइन विकल्प की अनुपस्थिति ने दंपत्ति को प्रभावी रूप से उनके विश्वास और इरादे के विपरीत वैधानिक व्यवस्था में धकेल दिया, जिसने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया।

ALSO READ -  प्रबंध निदेशक को परोक्ष रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता जबकि कंपनी (प्रथम आरोपी) को बरी कर दिया गया: हाई कोर्ट

दंपत्ति को राहत देते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द किया जाए।

न्यायालय ने कहा “उपर्युक्त निर्देशों के साथ वर्तमान याचिका का निपटारा किया जाता है। इस आदेश की प्रति जीएनसीटीडी के मुख्य सचिव को भेजी जाए।”

मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की है।

वाद शीर्षक – फैजान अयूबी एवं अन्य बनाम दिल्ली सरकार एवं अन्य।

You May Also Like

+ There are no comments

Add yours