दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार के रवैये से नाराजगी दिखाते हुए 50000 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है. दिल्ली सरकार पर यह कार्रवाई महिला कर्मचारी को मातृत्व के दौरान मिलने वाले लाभ को देने वाले फैसले को चुनौती देने पर हुई. महिला कर्मचारी दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में स्टेनोग्राफर के पद पर थी. नौकरी उन्हें कॉन्ट्रैक्चुअल बेसिस पर मिली थी.
मामला क्या था-
दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार ने सिंगल-जज बेंच के फैसले को चुनौती दी है. 6 अक्टूबर, 2023 के दिन, सिंगल-जज बेंच ने संविदा महिला कर्मचारी को 26 सप्ताह की समयावधि के लिए मातृत्व के दौरान मिलनेवाली सुविधाएं देने के आदेश दिए थे. ज्ञात हो कि, महिला ने उपभोक्ता निवारण आयोग में करीब 5 साल तक स्टेनोग्राफर के पद पर रहीं. सिंगल जज बेंच ने महिला को दोबारा से पद पर बहाल करने की मांग को खारिज किया था.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की डिवीजन बेंच ने मामले को सुना. सरकार ने सिंगल-जज बेंच के फैसले को चुनौती दी है. बेंच ने कहा कि जब राज्य में मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत राजधानी की सभी महिलाओं को 1000 रूपये देने की बात कर रही है. इसका बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही है. वहीं, इस महिला कर्मचारी को लाभ देने के बजाय, उस फैसले को चुनौती दे रही हैं.
कोर्ट ने कहा, “वास्तव में, हम आश्चर्यचकित हैं कि सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जो दिल्ली में महिलाओं के हित को बढ़ावा देने का भरपूर प्रचार कर रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत करदाताओं को छोड़कर शहर की सभी वयस्क महिलाओं को ₹1,000/- की मासिक राशि पेंशन देने की बात कर रहें हैं, उन्होंने उस आदेश का विरोध करने का विकल्प चुना है जो एक युवा महिला को अधिनियम के तहत लाभ प्रदान करता है, जिसने दिल्ली राज्य उपभोक्ता फोरम में 5 वर्षों तक सेवा दी है.”
बेंच ने आगे कहा, “इसलिए, हमें अपीलकर्ता की दलील में कोई योग्यता नहीं मिली है.”
जाने मेटरनिटी से जुड़ा कानून क्या कहता है?
मातृत्व अवकाश को आम प्रचलन में मैटरनिटी लीव कहते हैं. ये लीव महिलाओं को बच्चे के जन्म और शुरूआती दिनों की देखभाल के लिए दी जाती हैं. मौजूदा कर्मचारी होने के साथ-साथ पिछले साल 80 दिन से ज्यादा काम करने वाली महिलाएं, कंपनी द्वारा इस लाभ को पाने की पात्रता रखती हैं.मैटरनिटी लीव में महिलाओं को अवकाश के दौरान वेतन देने का प्रावधान है.
बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज करते हुए महिला कर्मचारी को 50 हजार रूपये देने के आदेश दिये हैं.