दिल्ली हाईकोर्ट ने ओखला में यूपी सिंचाई विभाग की 115 संपत्तियों को तोड़ने की कार्रवाई पर लगाई अंतरिम रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण अंतरिम राहत देते हुए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा ओखला स्थित 115 संपत्तियों को गिराने या कब्जा खाली कराने की प्रस्तावित कार्रवाई पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील की दलीलें सुनने के बाद यूपी सिंचाई विभाग को नोटिस जारी कर उसका पक्ष मांगा है। अदालत ने इस मामले को आगामी 4 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. फर्रुख खान ने अदालत को बताया कि 22 मई को जारी की गई नोटिस मनमानी और अवैध है, क्योंकि जिस जमीन को लेकर विभाग दावे कर रहा है, उस पर उसका कोई वैध स्वामित्व नहीं है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि याचिकाकर्ताओं को मुरादी रोड, खिजर बाबा कॉलोनी, जामिया नगर, ओखला स्थित खसरा नंबर 277 की संपत्तियों से जबरन बेदखल करने या उन्हें ढहाने से रोका जाए।
इस मामले में जावेद अहमद समेत कुल 115 याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश राज्य और आगरा नहर के हेड वर्क्स डिवीजन, ओखला के खिलाफ याचिका दाखिल की है। एडवोकेट ऋधिमा गोयल के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता वर्षों से जिन व्यावसायिक और आवासीय परिसरों में रह रहे हैं या व्यवसाय चला रहे हैं, उनके खिलाफ जबरन तोड़फोड़, बेदखली और अन्य दमनात्मक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। विभाग का दावा है कि ये संपत्तियां उसकी जमीन पर स्थित हैं।
याचिका में यह भी बताया गया है कि वर्ष 1991 में यूपी सरकार ने “स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश बनाम श्री अर्जुन एवं अन्य” शीर्षक से एक दीवानी वाद दायर किया था, जिसमें याचिकाकर्ता जावेद अहमद को भी प्रतिवादी बनाया गया था। उक्त वाद में यूपी सरकार ने ओखला गांव, तहसील महरौली, नई दिल्ली स्थित खसरा नंबर 277 की 108 बीघा 17 बिस्वा भूमि को लेकर कब्जा वापस लेने और मुआवजा प्राप्त करने की मांग की थी।
हालांकि, दीवानी न्यायालय ने 13 दिसंबर 2005 को यह वाद खारिज कर दिया क्योंकि यूपी सरकार भूमि स्वामित्व से जुड़े कोई भी वैध दस्तावेज—न तो मूल और न ही प्रतिलिपि—पेश नहीं कर सकी। इसके बाद, 13 जनवरी 2011 को जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के खिलाफ की गई प्रथम अपील भी खारिज हो गई। उच्च न्यायालय ने 22 जुलाई 2013 को दूसरी अपील भी खारिज कर दी, जिससे ट्रायल कोर्ट का आदेश अंतिम रूप से बरकरार रहा।
याचिका में जोर देकर कहा गया है कि पिछले 12 वर्षों में यूपी सरकार ने इस आदेश के खिलाफ कोई वैधानिक कदम नहीं उठाया है, जिससे यह आदेश अंतिम रूप से लागू हो चुका है। बावजूद इसके, 22 मई को जारी किया गया बेदखली और जबरन कार्रवाई का नोटिस याचिकाकर्ताओं के घरों की दीवारों पर चस्पा कर दिया गया, जो कि असंवैधानिक, अवैध और संप्रभु शक्तियों का दुरुपयोग है।
अब इस मामले में हाईकोर्ट की अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी, जहां यूपी सिंचाई विभाग को अपना पक्ष रखना होगा।
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