“सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिव्यांग बलात्कार पीड़िता: इलाज, मुआवज़ा और सख़्त सज़ा की मांग”
⚖️ पीड़िता की याचिका: न्याय और गरिमा की पुकार
गर्दन से नीचे पूरी तरह से लकवाग्रस्त एक 33 वर्षीय दिव्यांग महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई है। पीड़िता ने उस टैक्सी चालक को कड़ी सज़ा, चिकित्सा सहायता और मुआवज़ा दिए जाने की मांग की है, जिसने उसे सात महीनों तक बार-बार बलात्कार और यौन हिंसा का शिकार बनाया। इस अपराधी को पंजाब की एक अदालत ने पहले ही दोषी करार देते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत 10 साल का कठोर कारावास सुनाया था।
मुख्य न्यायाधीश CJI बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष बुधवार को मामला उल्लेखित किया गया, जिसे शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
📅 पृष्ठभूमि: सात महीने की दरिंदगी और छल
पीड़िता की याचिका के अनुसार, अगस्त 2022 से मार्च 2023 तक आरोपी ने उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, जबरन बंधक बनाया और बार-बार यौन हिंसा की। आरोपी ने एक बार उसे जालंधर के प्रेसिडेंसी होटल में बेहोश कर फिर बलात्कार किया और फिर ‘वन स्टॉप सेंटर’ अस्पताल को झूठी सूचना दी कि उसे एक मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग महिला सड़क पर मिली है। इससे पहले उसने पीड़िता के सभी आधिकारिक दस्तावेज नष्ट कर दिए।
पीड़िता के बयान के आधार पर 8 मार्च 2023 को मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन, होशियारपुर में एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्हें जालंधर के एक संरक्षण गृह भेजा गया, जहां उन्हें आरोपी के परिजनों और कुछ अधिकारियों की ओर से प्रताड़ना और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। वहां उन्हें न तो उचित चिकित्सा सहायता मिली और न ही गरिमापूर्ण जीवन।
अंततः दिसंबर 2023 में एक मित्र की सहायता से उन्हें दिल्ली लाया गया।
📑 अदालती प्रक्रिया और मौजूदा हालात
20 अगस्त 2024 को आरोपपत्र दाखिल किया गया। बाद में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए 10 साल का कठोर कारावास सुनाया। हालांकि आरोपी ने इस निर्णय को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
इस बीच, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) ने पीड़िता से कुछ दस्तावेज मांगे जो अब उसके पास नहीं हैं क्योंकि वे आरोपी द्वारा नष्ट कर दिए गए थे। पीड़िता ने दावा किया है कि वह अभी भी उचित चिकित्सा सुविधा और आश्रय से वंचित हैं, और उन्हें अज्ञात लोगों से धमकियां मिल रही हैं कि वह आरोपी की अपील का विरोध न करें।
🏥 याचिका में प्रमुख मांगें:
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित राहतें मांगी हैं:
- विशेष चिकित्सा सहायता और पुनर्वास
- दिल्ली पीड़ित मुआवज़ा योजना, 2018 और पंजाब मुआवज़ा योजना, 2017 के तहत निरंतर उपचार संबंधी सहायता
- सुरक्षा, विधिक सहायता और आश्रय
- ट्रायल कोर्ट की पूर्ण रिकॉर्ड की प्रतियां राज्य के खर्च पर उपलब्ध कराई जाएं
- दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर करने की अनुमति, ताकि दोषी को और कड़ी सज़ा दिलाई जा सके
📜 संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 21 का उल्लंघन
याचिका में कहा गया है कि एक दिव्यांग महिला के साथ अवैध बंदी में बलात्कार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का घोर उल्लंघन है। इससे न केवल उसकी शारीरिक गरिमा बल्कि उसकी मानसिक स्थिति, निजता और आत्मसम्मान भी प्रभावित हुआ है।
इसके अलावा, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (DLSA) की जिम्मेदारी है कि वे तत्काल सहायता प्रदान करें — या तो याचिका पर या न्यायालय की अनुशंसा पर।
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