पीड़िता के मुकरने पर भी POCSO COURT ने वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर दिया निर्णय, आरोपी को सुनाई 20 साल की सजा-

पीड़िता के मुकरने पर भी POCSO COURT ने वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर दिया निर्णय, आरोपी को सुनाई 20 साल की सजा-

लोक अभियोजक राकेश ठाकुर ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत सुनवाई करने वाली अदालत ने मीणा पर 70,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। 

पोस्को अदालत (POCSO COURT) क्रम संख्या 1 बूंदी ने बसोली थाना क्षेत्र में 2 फरवरी 2020 को नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

पोक्सो न्यायालय ने पीड़िता सहित सभी गवाह के बयानों से मुकर जाने के बाद भी मेडिकल और एफएसएल रिपोर्ट (Forensic Science Laboratory Report) को ही प्रमुख आधार माना। नाबालिग पीड़िता के गोपनीय अंग में 24 वर्षीय बनवारी मीणा के वीर्य की मौजूदगी सहित वैज्ञानिक सबूत के आधार पर उसे दोषी ठहराया और आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है। आरोपी बनवारी को 70 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है और साथ ही आरोपी को जेल भी भेज दिया है।

आलोक्य-

बसोली थाना क्षेत्र में 16 साल की नाबालिग पीड़िता सवेरे शौच के लिए गई थी इसी दौरान बनवारी और सोनू उसे जबरन उठाकर खेत में ले गए और दुष्कर्म किया। जब पीड़िता के पिता ने विरोध किया तो सोनू ने उसके पिता को सरीये से मारकर सिर फोड़ दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया और उसके बाद जेल से जमानत पर बनवारी और सोनू को रिहा कर दिया। घटना के एक दिन बाद पुलिस को दिए अपने बयान में 16 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया था कि मीणा ने अपने दोस्त सोनू के साथ मिलकर दो फरवरी 2020 को घर से उसका अपहरण कर लिया था। लड़की ने कहा कि वे उसे मोटरसाइकिल पर पास के एक सुनसान स्थान पर ले गए, जहां मीणा ने उससे बलात्कार किया, जबकि सोनू पहरा दे रहा था। बसोली पुलिस ने पीड़िता की रिपोर्ट पर 363, 366A, 323, 376D, N325 मामला दर्ज किया था।

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दबाव में कर लिया था समझौता-

हिंडोली के पुलिस उपाधीक्षक और सर्किल ऑफिसर श्याम सुंदर बिश्नोई ने शुक्रवार को कहाकि हालांकि, उसके (पीड़िता) परिवार के सदस्यों ने मीणा के साथ समझौता कर लिया और इसके परिणामस्वरूप, वह अदालत में बयान से मुकर गई और आरोपी की पहचान करने से इनकार कर दिया।

न्यायलय का निर्णय-

कार्यलय विशिष्ठ लोक अभियोजक पोस्को राकेश ठाकुर ने बताया कि नाबालिग पीड़िता के साथ हुए अपराध के मामले में दुष्कर्म, पीड़िता और सभी गवाह अपने बयानों से बदल गए इसी दौरान 13 गवाह और 29 दस्तावेज को रखने के बाद भी न्यायालय ने कहाकि जांच में वैज्ञानिक साक्ष्य दोषसिद्धि में निर्णायक साबित हुए। अदालत ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता के गोपनीय अंग में आरोपी के वीर्य डीएनए की मौजूदगी संबंधी फॉरेंसिक रिपोर्ट और मेडिकल रिपोर्ट (Medical Report) के आधार पर बनवारी मीणा को दोषी करार दिया और साथ ही उसे 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है और बनवारी को कुल 70 हजार के अर्थदण्ड से दंडित किया है। न्यायालय ने कहा कि सबूतों के अभाव में सोनू को आरोप से बरी कर दिया गया।

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