मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय के आदेश के बाद और शांतनु शुक्ला ने अपने आत्मविश्वास और संघर्ष के दम पर क्लास 12th की मार्कशीट में एक नंबर की जगह 28 नंबर बढ़वा लिए. छात्र शांतनु तीन साल तक लड़े क़ानूनी लड़ाई करीब 44 से ज्यादा पेशियां के बाद पाई विजय.
Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के सागर (Sagar) के कक्षा 12वीं के स्टूडेंट शांतनु शुक्ला (Shantanu Shukla) ने अपने 12th की मार्कशीट में एक नंबर बढ़वान के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education, Madhya Pradesh) से लेकर हाईकोर्ट (mp High Court) तक लड़ाई लड़ी. 3 साल बाद उसकी मेहनत रंग लाई. जब दोबारा उसकी कॉपी चेक होकर आई तो उसे 1 की जगह 28 नंबर मिले. छात्र ने 40 से ज्यादा पेशियां कीं, केस लड़ने के लिए तीन साल में 15 हजार रुपये खर्च किए. 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पहले उसे 74.8% मार्क्स आए थे. जिसके बाद छात्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और एक नंबर की जगह उसे 28 नंबर बढ़ गए.
कक्षा 12वीं की मार्कशीट में एक नंबर बढ़वाने के लिए सागर के स्टूडेंट ने माध्यमिक शिक्षा मंडल से लेकर हाई कोर्ट तीन साल की लड़ाई लड़ी. छात्र ने मार्क्स बढ़वाने को लेकर तीन साल तक लड़ाई लड़ी और हार नहीं माना. जिसका परिणाम यह निकला कि युवा को एक नंबर की जगह 28 नंबर बढ़कर मिले. छात्र ने तीन साल में करीब 44 से ज्यादा पेशियां की और पंद्रह हजार खर्च किए.
शांतनु ने वर्ष 2018 में हाईकोर्ट जबलपुर अधिवक्ता रामेश्वर सिंह के माध्यम से पिटीशन लगाई. कोविड-19 काल के चलते दो सालों तक मामले में सुनवाई नहीं हुई.
इसके बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय में सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट के 6 नोटिस जारी करने पर भी बोर्ड की ओर से कोई पक्ष नहीं रखा गया. पूरे मामले में करीब 44 पेशियां हुई.
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल को पुन: मूल्यांकन करने के आदेश दिए.
शांतनु ने अपने आत्मविश्वास से जीती क़ानूनी जंग-
सागर के परकोटा रहने वाले छात्र शांतनु शुक्ला ने 12 क्लास की पढ़ाई एक्सीलेंस स्कूल की थी. 2018 में एमपी बोर्ड 12वीं की परीक्षा में 74.8% अंक से पास की थी. जिसके बाद शांतनु को अपने आप पर पूरा भरोसा था कि मास्क 75 से 80 % के बीच में आएंगे. लेकिन एक नंबर कमा आने से वह 75 के पार नहीं जा सका और उसे सीएम की मेधावी योजना का लाभ भी नहीं मिल पाया. शांतनु के 28 नंबर पढ़ने से 81% अंक हो जाएंगे. जिससे उसे अब मेधावी छात्र योजना का लाभ मिलेगा. शांतनु अब मुख्यमंत्री मेधावी योजना के लिए फॉर्म भरेंगे. जिससे कि उन्हें लाभ मिलेगा. शांतनु के माता-पिता नहीं हैं. 2010 में पिता का देहांत हो गया था. वे चार बहनों के एकलौता भाई हैं.
शांतनु का कहना है कि रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया तो उसमें 1 नंबर भी नहीं बढ़ा. फिर बोर्ड में अप्लाई कर सब्जेक्ट की कॉपी निकलवाई. प्रश्न के उत्तर पर सही टिक लगे थे, लेकिन इसके नंबर नहीं दिए गए थे. फिर साल 2018 में पिटीशन लगाई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा मूल्यांकन करने के आदेश दिए. 21 फरवरी को नई मार्कशीट मिली जिसमें 80.4% अंक मिले हैं.