IVF के दौरान घोर लापरवाही, पति के बजाय किसी और का ‘सीमेन’ डाल दिया, अस्पताल पर ब्याज सहित 1.3 करोड़ का भारी जुर्माना

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IVF Spermixing : दिल्ली के अस्पताल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक प्राइवेट अस्पताल में IVF प्रोसीजर के दौरान डॉक्टरों ने पति के बजाय किसी दूसरे व्यक्ति का स्पर्म डाल दिया। अब इस मामले में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने हॉस्पिटल पर प्रजनन प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ी के लिए 1.3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

क्या है मामला?

यह मामला लगभग 15 वर्ष पूर्व एक महिला ने जुड़वा बच्चे को जन्म से सम्बंधित है। महिला के मुताबिक उसके पति ने अपना सीमेन दिया था लेकिन डॉक्टर की घोर लापरवाही के कारण सीमेन सैंपल मिक्स-अप हो गया। उसका नतीजा हुआ यह कि डीएनए प्रोफाइल टेस्ट DNA PROFILE TEST में बच्चा किसी और का निकल गया। दंपत्ति डीएनए टेस्ट का रिजल्ट देख शॉक्ड रह गए। जांच में पता चला कि महिला का पति उसके जुड़वां बच्चों का जैविक पिता नहीं है। जुड़वा बच्चों में से एक का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था, जबकि माता का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव और पिता का ओ नेगेटिव था।

जांच में पाई गई घोर लापरवाही-

आयोग ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट (DNA REPORT) और महिला की शिकायत से स्पष्ट है कि आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) या IVF प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों और स्टाफ ने घोर लापरवाही की है। एनसीडीआरसी के डॉ. एसएम कांतिकर ने 16 जून को दिए एक आदेश में कहा कि अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर की घोर लापरवाही के कारण माता-पिता और उनके बच्चों के बीच आनुवंशिक संबंध टूट गया है।

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बच्चों के पिता द्वारा माँगा गया 2 करोड़ रुपये का मुआवजा-

बच्चों के पिता ने सर्विस में लापरवाही के कारण 2 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा था। बच्चों के पिता ने कहा कि इस सीमेन मिक्स अप होने से भावनात्मक पीड़ा और आनुवंशिक रूप से विरासत में मिली बीमारियों का डर बना हुआ है। क्या पता उस सीमेन में कोई जिनेटिक बीमारी हो। भविष्य में बच्चों को परेशान करे।

देश में कई जगह अवैध एआरटी केंद्र: डॉ. कांतिकर

डॉ. कांतिकर ने कहा कि हमारे देश में कई जगह बिना लाइसेंस के भी एआरटी केंद्र खोले गए हैं जिनमें निर्दोष इनफर्टाइल दंपतियों का गलत इलाज हो रहा है। इन एआरटी केंद्र की जांच की जरूरत है। विशेषज्ञ को ओव्यूलेशन की फिजियोलॉजी के साथ-साथ प्रजनन और स्त्री रोग विज्ञान के बारे में सही ज्ञान होने की जरूरत है। नहीं तो इस तरह की घटना आगे भी आएंगी। डॉक्टरों को यह समझने की जरूरत हैं कि इनफर्टिलिटी के मरीज भावनात्मक और आर्थिक रूप से तनावग्रस्त होते हैं।

आयोग ने कहा भुगतान में देरी पर लगेगा जुर्माना पर ब्याज-

सुप्रीम कोर्ट के पिछले कई फैसलों को आधार बनाते हुए आयोग ने एक निजी अस्पताल और इसके अध्यक्ष और निदेशक को संयुक्त रूप से मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्हें NCDRC के उपभोक्ता कानूनी सहायता खाते में 20 लाख रुपये जमा करने के लिए भी कहा गया है। समय पर भुगतान नहीं करने पर 8 प्रतिशत ब्याज जोड़कर लगेगा।

  • इसके अलावा इस मामले की तीन अन्य आरोपियों, जिनमें अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल थे, को निर्देश दिया गया कि हर कोई 10 लाख रुपये का भुगतान शिकायतकर्ताओं को करें। आयोग ने कहा कि अगर छह हफ्ते के भीतर मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया तो हर साल 8% ब्याज का जुर्माना लगाया जाएगा।
  • साथ ही कहा कि मुआवजे के रूप में एकत्र किए गए 1.3 करोड़ रुपये जुड़वां बच्चों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के रूप में जमा किए जाएंगे, जिसमें दोनों 50% की हिस्सेदारी के हकदार होंगे। अदालत ने कहा, माता-पिता को बच्चों की देखभाल और कल्याण के लिए ब्याज की रकम लेने की अनुमति है।

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