गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि मोरबी पुल हादसे मामले में ओरेवा ग्रुप के सीएमडी जयसुख पटेल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। पीड़ितों के वकील ने कहा कि साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना हो सकती है।
वर्ष 2022 अक्तूबर में मोरबी सस्पेंशन पुल ढहने के मुख्य आरोपी ओरेवा समूह के सीएमडी जयसुख पटेल की नियमित जमानत याचिका गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति दिव्येश जोशी ने सुनवाई के दौरान कहा कि ओरेवा ग्रुप के सीएमडी जयसुख पटेल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है।
ज्ञात हो की मोरबी पुल हादसे में मुख्य आरोपी के रूप में नामित होने के बाद जनवरी माह में आत्मसमर्पण करने के बाद से जेल में बंद हैं। उनकी नियमित जमानत याचिका पहले भी निचली अदालतों द्वारा खारिज कर दी गई थी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता मितेश अमीन ने पहले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया था कि जांच अधिकारी ने इस वर्ष 18 सितंबर को एक सत्र अदालत को सूचित किया था कि पुल ढहने की जांच के सभी पहलुओं और विशेषताओं को कवर किया गया था और कुछ भी नहीं छोड़ा गया था।
जमानत के लिए दलील देते हुए जयसुख पटेल के वकील निरुपम नानावटी ने अदालत से कहा था कि पुल का संचालन और रखरखाव ओरेवा समूह के लिए लाभ कमाने वाला उद्यम नहीं है। उन्होंने कहा कि ओरेवा समूह के कर्मचारियों ने छुट्टी का दिन होने के कारण लोगों की भीड़ को पुल पर आने की अनुमति दी।
वहीं जयसुख पटेल की याचिका का विरोध करते हुए पीड़ितों के वकील राहुल शर्मा ने कहा कि आरोपी के जमानत पर छूटने की स्थिति में गवाहों के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ होने की संभावना है।
मामला संक्षेप में-
जयसुख पटेल की कंपनी गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थी, जो पिछले साल 2022 के 30 अक्तूबर को ढह गया था। इस हादसे में बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे। हादसे के बाद पटेल समेत अन्य नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पटेल की जमानत याचिका खारिज होने के साथ, मामले के 10 आरोपियों में से चार सलाखों के पीछे हैं, जिनमें ओरेवा समूह के प्रबंधक और मरम्मत कार्य करने वाली कंपनी देवप्रकाश सॉल्यूशंस के दो मालिक शामिल हैं।