एक हत्यारा अपने शिकार से भौतिक शरीर को नष्ट कर देता है, परंतु एक बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को नीचा दिखाता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलात्कार के बढ़ते अपराधियों को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा वैसे तो हम सभी क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारों का जश्न मना रहे हैं, लेकिन हम उनके सम्मान के लिए कतई चिंतित नहीं होते।
यौन अपराधों से पीड़ितों की मानवीय गरिमा के उल्लंघन के प्रति समाज का उदासीन रवैया एक दुखद प्रतिबिंब है।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने उक्त टिप्पणी एक आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए की है। कोर्ट ने औरैया के स्पेशल जज एससी-एसटी कोर्ट द्वारा याची अयूब खान उर्फ गुड्डू को जमानत देने से इनकार करने के फैसले का समर्थन किया।
अदालत ने कहा, सामान्य रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध और विशेष रूप से बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं और यह अत्यंत चिंता की बात है।
न्यायालय ने कहा कि एक बलात्कारी न केवल पीड़िता की गोपनीयता और व्यक्तिगत अखंडता का उल्लंघन करता है, बल्कि उसे मानसिक चोट भी देता है। बलात्कार केवल एक शारीरिक हमला नहीं है, यह अक्सर पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है।
कोर्ट ने कहा कि “एक हत्यारा अपने शिकार से भौतिक शरीर को नष्ट कर देता है, परंतु एक बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को नीचा दिखाता है”।
हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी की जमानत अर्जी को अपनी इन टिप्पणियों के साथ खारिज दिया।
आरोपी के खिलाफ एक महिला ने नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाकर रेप करने और अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने की धमकी देने का केस दर्ज कराया था।
आरोपी के अधिवक्ता ने बचाव में दलील दी गई थी कि घटना के 17 दिन बाद एफ आईआर दर्ज कराई गई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भारत के ग्रामीण इलाकों की जो हालत है उसमें घटना के तुरंत बाद पुलिस स्टेशन जाकर केस दर्ज कराने की उम्मीद नहीं की जा सकती और आरोपी को सिर्फ देरी के आधार पर कोई राहत नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि घटना 23 जून 2021 की है। इस मामले में 9 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी की जमानत अर्जी को अपनी इन टिप्पणियों के साथ खारिज दिया।