सुप्रीम कोर्ट में गरमाई कॉलेजियम बनाम NJAC बहस: CJI संजीव खन्ना ने वकील की टिप्पणी पर जताई नाराज़गी
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम प्रणाली बनाम राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को लेकर बहस एक बार फिर गरमा गई जब वरिष्ठ अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा ने 2022 में दाखिल एक लंबित याचिका पर सुनवाई की मांग करते हुए CJI संजीव खन्ना से NJAC को पुनर्जीवित करने की अपील की।
नेदुम्परा ने अदालत से कहा कि, “देश की जनता NJAC चाहती है। उपराष्ट्रपति तक यह बात कह चुके हैं। अब अदालत को इस विषय पर विचार करना चाहिए।”
इस पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अधिवक्ता को अदालत में राजनीतिक भाषण देने से रोका। उन्होंने दो टूक कहा,
“यह न्यायालय है, न कि कोई मंच जहां आप राजनीतिक वक्तव्य दें।”
CJI ने यह भी स्पष्ट किया कि वह उस याचिका को खारिज नहीं कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई की प्रक्रिया तय नियमों के अनुसार होगी, न कि दबाव में आकर।
क्या है मामला?
- वर्ष 2022 में दाखिल याचिका में NJAC को बहाल करने की मांग की गई थी।
- याचिका के अनुसार, कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है।
- याचिकाकर्ता का तर्क है कि संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम और NJAC कानून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर देना न्यायिक अतिरेक (judicial overreach) का उदाहरण है।
पृष्ठभूमि
- 2015 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने NJAC कानून को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था और कॉलेजियम प्रणाली को बहाल कर दिया था।
- NJAC कानून में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका की भी भूमिका प्रस्तावित थी।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांसद निशिकांत दुबे, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी NJAC की बहाली की वकालत की है। ऐसे में यह मुद्दा एक बार फिर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाम कार्यपालिका की भागीदारी की बहस को हवा दे रहा है।
क्या होगा आगे?
CJI खन्ना ने संकेत दिया कि याचिका खारिज नहीं की गई है, लेकिन उसकी सुनवाई उचित समय पर ही होगी। अब देखना होगा कि शीर्ष अदालत इस संवेदनशील मुद्दे को कब और किस तरह से सुनेगी, और क्या NJAC को लेकर कोई पुनर्विचार संभव है।
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